2025 में F‑1 वीजा संकट: भारतीय छात्रों की स्वीकृति में 70% गिरावट

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2025 में F‑1 वीजा संकट: भारतीय छात्रों की स्वीकृति में 70% गिरावट

जब Sanjeev Rai, संस्थापक of Hyderabad Overseas Consultants ने जुलाई 2025 में बताया कि F‑1 वीजा की अस्वीकृति दर ने एक दशक में सबसे अधिक 50% तक पहुँच गई है, तो भारतीय छात्रों के बीच बेचैनी के लहजे साफ़ सुनाई देने लगे। यू.एस. के शरद 2025 प्रवेश सत्र की तैयारियों के बीच, इस वीजा‑क्राइसिस ने हजारों छात्रों को अनिश्चितता के घने बादल में धकेल दिया है।

इतिहास और पिछली प्रवृत्तियों की झलक

पहले के सालों में भारत से अमेरिका में पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। International Institute of Education (Open Doors) के 2023‑2024 रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 234,500 भारतीय छात्र अमेरिकी कैंपस में थे, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 204,000 रह गई। अब 2025 में, वही गिरावट 50‑70% तक तेज़ हो गई है, जिससे अमेरिकी शिक्षा उद्योग को बड़ा झटका लगा है।

वर्तमान स्थिति: वीजा अस्वीकृति के प्रमुख कारण

नई US Department of State की आंकड़ों के अनुसार, 2025 में साफ‑सुथरे प्रोफ़ाइल वाले आवेदकों की भी अस्वीकृति दर 50% तक पहुंच गई। अधिकांश मामलों में सेक्शन 214(b) के तहत अस्वीकृति दी जाती है, जिसका मतलब है कि वीज़ा अधिकारी को विश्वास नहीं हुआ कि आवेदक पढ़ाई पूरी होने के बाद भारत लौटेगा।

कहते हैं कि यह प्रवृत्ति पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump के प्रशासन के कड़े वीजा नीतियों के प्रभाव से तेज़ हुई, साथ ही इंटरव्यू स्लॉट की कमी, ऊँची फीस और पोस्ट‑स्टडी काम के अवसरों में अनिश्चितता ने इस दबाव को बढ़ा दिया।

मुख्य हितधारकों की प्रतिक्रियाएँ

Abhinav Nath, University of Pennsylvania के International College Advising प्रमाणित विशेषज्ञ ने सलाह दी कि जिन छात्रों की वीज़ा अस्वीकृत हो गई है, उन्हें पहले कारणों का गहन विश्लेषण करना चाहिए। वित्तीय दस्तावेज़ों को सुदृढ़ बनाना, शैक्षणिक लक्ष्य को स्पष्ट करना और भारत से संबंध—जैसे पारिवारिक या संपत्ति—को उजागर करना आवश्यक है। वे यह भी कहते हैं कि फॉर्म I‑539 के माध्यम से 60‑दिन की अवधि समाप्त होने पर विस्तार के लिए आवेदन करना संभव है, जिसकी फीस $420 (ऑनलाइन) या $470 (पेपर) है।

वहीं, US Embassy, India ने कहा कि इंटरव्यू स्लॉट उपलब्धता में सुधार के लिए नई प्रणाली लागू की जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं।

पर्यायविक विकल्प और उनकी संभावनाएँ

असफलता के बाद कई छात्रों ने वैकल्पिक मार्ग देखे हैं। H‑1B (स्पेशलिटी वर्कर), L‑1 (इंट्रा‑कंपनी ट्रांसफ़री), E‑2 (ट्रिटि इन्वेस्टर) और EB‑5 (इमिग्रेंट इन्वेस्टर) वीज़ा विकल्पों के बारे में सलाहकारों ने बताया। विशेष रूप से EB‑5 निवेश‑आधारित इमीग्रेशन का रूट आकर्षक माना जा रहा है, क्योंकि यह स्थायी निवास की संभावना देता है।

यू.एस. के अलावा यूके, यूरोप (जर्मनी, नीदरलैंड) और ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय छात्रों के लिए खुली हैं, जहाँ प्रथम सत्र जनवरी‑फ़रवरी में शुरू होता है और वीज़ा प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से तेज़ है।

भविष्य के संकेत और संभावित दिशा‑निर्देश

भविष्य के संकेत और संभावित दिशा‑निर्देश

यदि इस रुझान को सुधारने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते, तो भारत‑अमेरिका शैक्षिक विनिमय में निरंतर गिरावट देखी जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि फिज़िकल इंटरव्यू स्लॉट की संख्या में वृद्धि, वीज़ा मानदंडों की स्पष्टता और भारतीय छात्रों के लिए विशेष सूचना सत्रें इस संकट को कम कर सकती हैं। साथ ही, डिजिटल इंटरव्यू प्लेटफ़ॉर्म की रॉयल्टियों को कम करके भी प्रक्रिया तेज़ हो सकती है।

छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे न केवल यू.एस. पर, बल्कि अन्य देशों में भी समान शैक्षणिक अवसरों की तलाश करें, ताकि उनके भविष्य के करियर में कोई अंतर न आए।

मुख्य तथ्य

  • 2025 में F‑1 वीज़ा अस्वीकृति दर 50% तक बढ़ी।
  • इंडिया‑अमेरिका शैक्षिक विनिमय में 2024‑2025 में 30,000 छात्रों की गिरावट दर्ज हुई।
  • सेक्शन 214(b) प्रमुख कारण बन रहा है, जिसमें वापसी के भरोसे की कमी दर्शाई जाती है।
  • वैकल्पिक वीज़ा विकल्प: H‑1B, L‑1, E‑2, EB‑3, EB‑5।
  • दूसरे लोकप्रिय गंतव्य: यूके, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

F‑1 वीज़ा की अस्वीकृति का मुख्य कारण क्या है?

अधिकांश अस्वीकृतियों का कारण सेक्शन 214(b) है, जहाँ अधिकारी यह साबित नहीं कर पाता कि छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस लौटेगा। वित्तीय दस्तावेज़ों की कमी और भारत से बंधनों का स्पष्ट न होना भी मुख्य कारण माने जाते हैं।

क्या भारतीय छात्रों के लिए अन्य वीज़ा विकल्प उपलब्ध हैं?

हाँ, H‑1B, L‑1, E‑2, EB‑3 और EB‑5 जैसी कई विकल्प मौजूद हैं। विशेष रूप से EB‑5 निवेश‑आधारित इमीग्रेशन का मार्ग स्थायी निवास प्रदान करता है, जबकि H‑1B और L‑1 पेशेवरों के लिए रोजगार‑आधारित विकल्प हैं।

असफल वीज़ा के बाद पुनः आवेदन कैसे करें?

पहले अस्वीकृति के कारणों का विश्लेषण करें, वित्तीय प्रमाण, शैक्षणिक योजना और भारत से बंधनों को मजबूती से तैयार करें। फिर नई दस्तावेज़ीकरण के साथ पुनः आवेदन करें; कई बार कई माह का अंतराल रखना फायदेमंद रहता है ताकि सुधार स्पष्ट दिखे।

यदि यू.एस. में वीज़ा नहीं मिल रहा तो कौन-से देशों को विकल्प के रूप में देखना चाहिए?

यूके, जर्मनी, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया सबसे लोकप्रिय विकल्प हैं। इन देशों में छात्रों के लिए वर्क‑पर्मिट और पोस्ट‑ग्रेजुएशन इमिग्रेशन की सुविधाएँ बेहतर हैं, और कई विश्वविद्यालयों का शैक्षणिक कैलेंडर जनवरी‑फ़रवरी में शुरू होता है।

शिक्षा सलाहकारों की भूमिका इस संकट में क्या है?

सलाहकार वित्तीय प्रमाण, कोर्स चुनाव और भारत से बंधनों को मजबूत करने में मदद करते हैं। वे अस्वीकृति कारणों के अनुसार इंटरव्यू की तैयारी कराते हैं और वैकल्पिक देश‑देशांतर योजनाओं पर मार्गदर्शन भी देते हैं।

Chandni Mishra

Chandni Mishra

मैं एक भारतीय समाचार लेखिका हूँ। मुझे भारतीय दैनिक समाचार पर लेख लिखने का शौक है। मैं अपने घर पर रहकर काम करती हूँ और अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हूँ। शीर्ष समाचार और घटनाओं पर लिखते हुए मैं समाज को सूचित रखने में विश्वास रखती हूँ।

1 Comments

Mayank Mishra

Mayank Mishra

6 अक्तूबर, 2025 . 00:59 पूर्वाह्न

भाईयो और बहनो, वर्तमान वीज़ा संकट को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सरकार और एम्बेसी को तुरंत सख्त नीति बदलनी चाहिए, नहीं तो भारत की शिक्षा निर्यात पर बड़ा झटका लगेगा। छात्रों को अपने बैकअप प्लान तैयार करने के साथ-साथ वित्तीय दस्तावेज़ों को मजबूत बनाना होगा। इस दौर में एकजुटता जरूरी है, तभी हम इस समस्या को मात दे सकते हैं।

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