भारत में मानसून का आगमन हमेशा ही जीवनदायिनी बारिश और कभी-कभी विनाशकारी बाढ़ के साथ होता है। इस बार भी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दो राज्यों में मानसून ने भारी तबाही मचाई है। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई है जिसके कारण 20 लोग लापता हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन और भारतीय सेना लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों की दुर्गमता के कारण तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कुल्लू और मंडी जिलों में भी भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बाढ़ के कारण स्थानीय फसलें तबाह हो चुकी हैं और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लोगों के घरों में पानी भर गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई परिवार बेघर हो गए हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले पांच दिनों तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में और अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। इससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है और राहत कार्यों में अतिरिक्त कठिनाईयां उत्पन्न हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
प्रधानमंत्री ने इस स्थिति पर अपनी नजरे बनाई हुई हैं और सभी आवश्यक सहायता प्रदान किए जाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर मौके पर त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा, देश के अन्य राज्यों में भी मानसूनी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। दिल्ली में रिकॉर्ड-तोड़ बारिश के एक ही दिन में भारी जलभराव हुआ, जिससे आम जनजीवन ठप हो गया। केरल के वायनाड में भारी भूस्खलन के कारण मृतकों की संख्या बढ़कर 256 हो गयी है।
राज्य | मृत्यु संख्या | मुख्य कारण |
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दिल्ली | 32 | भारी बारिश |
केरल | 256 | भूस्खलन |
बिहार | 5 | बिजली गिरना |
बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को मानसून के दौरान सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है।
छूट्टी पर गए जवानों को भी राहत व बचाव कार्यों में लगाया गया है। भारतीय सेना, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर राहत कार्य तेजी से चलाए हैं। रोजमर्रा की गतिविधियों में हो रही बाधाओं के बावजूद, राहत कार्यों में लगे जवान और अधिकारी अथक परिश्रम कर रहे हैं।
नदियों और समुद्र के किनारे बसे गांवों को भी सचेत किया गया है। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम तेजी से हो रहा है और स्थानीय प्रशासन लगातार स्थिति का जायजा ले रहा है। जनता को सूचित किया गया है कि किसी भी अप्रिय स्थिति में सरकारी हेल्पलाइन का उपयोग करें और मौसम विभाग की प्रतिक्रियाओं का ध्यान रखें।
बाढ़ के चलते कई स्थानों पर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। विशेषकर पानी से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने विशेष इंतजाम किए हैं। अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं जहां लोगों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। साफ-सफाई को बनाए रखने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं ताकि बीमारियों का प्रसार रोका जा सके।
पोषण और चिकित्सा आपूर्ति को बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाने में जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों का सड़क संपर्क टूट गया है, जिससे राहत सामग्री को हवाई मार्ग से पहुंचाना पड़ रहा है।
इस कठिन समय में नागरिकों से भी जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की जा रही है। कई संगठनों और वालंटियर्स ने मिलकर राहत कार्यों में सहायता करना प्रारंभ कर दिया है। वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाना, पानी और आवश्यक सामग्री वितरित कर रहे हैं। सरकार और जनता मिलकर इस आपदा से पार पाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसूनी बारिश की यह अप्रत्याशित तीव्रता जलवायु परिवर्तन का भी असर हो सकता है। बढ़ते तापमान और असमान मौसम पैटर्न ने ऐसे प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा दिया है।
इस समस्या का समाधान सामूहिक प्रयास और दीर्घकालीन रणनीति से ही संभव है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की दिशा में ठोस कदम उठाना शामिल है।
इस कठिन समय में, यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर एक-दूसरे की मदद करें और इस संकट से उभरने का मार्ग खोजें।