कुछ दिन पहले जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमला बोला, तो उसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने बड़ी आक्रामकता दिखाने की कोशिश की। उत्तरी और पश्चिमी भारत के अहम ठिकानों—जैसे अवंतिपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज—पर एक साथ कई ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दी गईं।
पाकिस्तान की उम्मीद थी कि ये हमले भारत के सैन्य ढांचे और आम आबादी में दहशत फैलाने में कामयाब होंगे, लेकिन इसी बीच भारतीय वायु रक्षा की रीढ़—S-400 'सुदर्शन चक्र'—ने पूरा माहौल बदल डाला।
S-400 की असली ताकत इसके 600 किमी की जबर्दस्त डिटेक्शन रेंज और 400 किमी दूर तक किसी भी हवाई खतरे पर एक्शन लेने की क्षमता में छुपी है। रूस से आयात की गई इस अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली में एडवांस एक्विजिशन रडार और मॉडर्न कमांड सेंटर शामिल हैं, जो पलक झपकते ही दुश्मन के ड्रोन और मिसाइल की पहचान कर उन्हें उड़ा देते हैं।
भारत ने अब तक चार S-400 स्क्वॉड्रन तैनात कर रखी हैं। सबसे महत्वपूर्ण स्क्वॉड्रन पठानकोट में है, जो जम्मू-कश्मीर और पंजाब के सैन्य-सिविल ठिकानों को सुरक्षा देती है। बाकी स्क्वॉड्रन राजस्थान और गुजरात जैसे संवेदनशील इलाकों की रक्षा में लगी हैं। इन सबके साथ ही इजरायल के सहयोग से बने मीडियम रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) सिस्टम भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिससे दुश्मन के किसी भी छद्म हमले का जवाब तुरंत दिया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद S-400 की परफार्मेंस ने भारतीय अधिकारियों और रणनीतिकारों को उत्साहित कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि भारत अब रूस से और S-400 स्क्वॉड्रन खरीदने की तैयारी कर रहा है, ताकि पश्चिमी और उत्तरी सीमा और ज्यादा मजबूत हो सके।
सिर्फ़ आयातित हथियारों के भरोसे नहीं, भारत अपने दम पर भी लंबी दूरी की वायु रक्षा मिसाइल तैयार कर रहा है। DRDO की 'प्रोजेक्ट कुशा' के तहत ऐसी मिसाइलें बनाई जा रही हैं, जो 350 किमी दूर तक दुश्मन की हरकतें रोक सकेंगी। इसका लक्ष्य है कि 2028–29 तक भारतीय सेना को ये स्वदेशी मिसाइलें मिल जाएं। इस तरह S-400 सिस्टम और स्वदेशी मिसाइलें मिलकर भारत की एयर डिफेंस को नई ऊँचाई देंगी।
अब भारत की सीमाओं पर दुश्मनों के लिए घुसपैठ करना बेहद मुश्किल हो गया है। S-400, MRSAM और आने वाली प्रोजेक्ट कुशा की मिसाइलें देश के नागरिकों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए चौकसी से खड़ी हैं।