कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने हाल ही में आयोजित एक समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्यावरण संरक्षण में योगदान को याद किया और सराहा। उन्होंने गहरे सम्मान के साथ कहा कि इंदिरा गांधी ने भारत में पर्यावरण संरक्षण संबंधी नियम और संस्थानों की नींव रखी। रमेश के अनुसार, ये वही नियम और संस्थान हैं जिन पर आज 'सिस्टमेटिक अटैक' चल रहा है। रमेश ने अपने भाषण में कहा कि इंदिरा गांधी का नेतृत्व पर्यावरण और प्राकृतिक धरोहर की रक्षा के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है।
इसके अलावा, जयराम रमेश ने इंदिरा गांधी के वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में योगदान की भी सराहना की। इंदिरा गांधी ने विशेष रूप से कृषि, अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, और रक्षा के क्षेत्र में भारत को नया जोश और गति प्रदान की। उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को इंदिरा गांधी के नेतृत्व में एक नई दिशा मिली। इसके साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों ने देश का नाम रोशन किया है, वे भी इंदिरा गांधी के नेतृत्व का परिणाम हैं।
रमेश ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी ने पर्यावरणीय संतुलन को आर्थिक विकास के साथ बनाए रखने की वकालत की थी। यह एक दूरदर्शी दृष्टिकोण था, जिसे उन्होंने न केवल नीतियों में लागू किया बल्कि अपने कार्यकाल में उसे सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया। उन्होंने 1972 में पर्यावरण संरक्षण हेतु वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर प्रारंभ किया। ये कदम भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हुए।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट आज विश्वव्यापी चिंता का विषय है, इसलिए इंदिरा गांधी की नीतियाँ और दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक हैं। इंदिरा गांधी ने समर्पण और दृढ़ विश्वास के साथ दिखाया कि कैसे एक राष्ट्र आर्थिक प्रगति कर सकता है, जबकि उसका प्राकृतिक विरासत संरक्षित रहता है। जयराम रमेश ने सच ही कहा कि उनका नेतृत्व हमें याद दिलाता है कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए भी विकास को प्राथमिकता दी जा सकती है।
इंदिरा गांधी का योगदान सिर्फ पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने न्यायसंगत और विकासशील समाज की कल्पना की, जिसने भारत को गहराई से प्रभावित किया है। उनका यह योगदान आज के नेताओं के लिए अनमोल प्रेरणा है, जो स्थिरता और विकास की दिशा में काम कर रहे हैं।