जब सोना और चाँदी के भाव असीम ऊँचाइयों पर पहुँच गए, तब धात्रेस के बाद अचानक आई गिरावट ने निवेशकों को सच्ची झटका दिया। ऑल इंडिया सरफा एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, 19 अक्टूबर, 2025 को दोनों धातुओं की कीमतें अपने रिकॉर्ड से नीचे आ गईं। दिल्ली में 24‑कैरेट सोना 2,400 रुपये घटकर 1,30,860 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया, जबकि चाँदी की कीमत लगभग 7,000 रुपये गिरकर 1,70,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही। यह बदलाव धात्रेस‑वाली खरीदारी की धूम के बाद आया, जिसे भारत के सबसे बड़े रत्न‑वैश्विक उत्सवों में से एक माना जाता है।
धात्रेस, जो घोड़ी‑हाथ में धातु वाली वस्तु खरीदने का परम्परागत दिन है, इस साल 18 अक्टूबर को मनाया गया। धात्रेस 2025भारत के दौरान सोने‑चाँदी के भाव ने असामान्य तेज़ी दिखाई। पिछले दिन, 17 अक्टूबर को 24‑कैरेट सोने की कीमत 1,34,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुँच गई थी – यह अब तक का सर्वकालिक उच्चतम स्तर था। उसी समय, चाँदी ने 1,77,000 रुपये प्रति किलोग्राम का नया किस्सा लिखा।
पिछले साल, धात्रेस 2024 पर 81,400 रुपये प्रति 10 ग्राम सोने की दर थी। इस साल की तुलना में, साल‑दर‑साल 62.65% की तेज़ी देखी गई है। चाँदी ने 70% की उछाल का रिकॉर्ड बनाया, जिससे स्पष्ट होता है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने भारतीय निवेशकों को सुरक्षित आश्रय के रूप में धातु में भरोसा किया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 19 अक्टूबर को 24‑कैरेट सोने की कीमत 1,30,860 रुपये प्रति 10 ग्राम रही, जबकि 22‑कैरेट सोना 11,995 रुपये प्रति ग्राम और 18‑कैरेट सोना 9,814 रुपये प्रति ग्राम पर ट्रेड कर रहा था। गुडरिटर्न्स ने बताया कि 24‑K सोने का उच्चतम स्तर 13,277 रुपये प्रति ग्राम 17 अक्टूबर को छू गया था, और न्यूनतम 11,853 रुपये 3 अक्टूबर को दर्ज हुआ था। इसी तरह, चाँदी के लिए इकोनॉमिक टाइम्स ने कहा कि 19 अक्टूबर को राष्ट्रीय औसत 1,70,000 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो दो लगातार दिनों की गिरावट के बाद आया।
विभिन्न मेट्रो शहरों में चाँदी की कीमतों में बड़ा अंतर देखा गया। कोलकाता में 1,72,000 रुपये, मुंबई और चेन्नई में 1,90,000 रुपये, बेंगलुरु में 1,80,000 रुपये, और दिल्ली में फिर से 1,72,000 रुपये दर्ज हुए। यह विविधता स्थानीय माँग‑सप्लाई और भौगोलिक टैक्स नीति के कारण है।
जैसे ही धात्रेस की खरीदारी की लहर धुंधली हुई, कई रिटेलर ने अपनी स्टॉक में गिरावट नोटिस की। रविंदर कुमार, सरफा एसोसिएशन के मुख्य सदस्य ने कहा, "बाजार में अभी भी तेज़ी का माहौल है, लेकिन ऐसी गिरावट अस्थायी हो सकती है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि व्यापारी अभी भी वर्ष‑अंत की उम्मीद में अपनी कीमतें स्थिर रखने की कोशिश कर रहे हैं।
वित्तीय विश्लेषक अनीता सिंह, इकोनॉमिक टाइम्स के साथ साक्षात्कार में बताती हैं, "सोने‑चाँदी की कीमतों में गिरावट एक सहज बाजार सुधर की तरह है। लेकिन दीर्घकाल में इन धातुओं की कीमतें ऊपर ही रहेंगे, क्योंकि वैश्विक मुद्रास्फीति और भू‑राजनीतिक तनाव जारी हैं।"
एक और विशेषज्ञ, राजेश कुमार, जो गुडरिटर्न्स में वरिष्ठ शोधकर्ता हैं, ने सुझाव दिया, "इन धातुओं में निवेश करने से पहले पोर्टफोलियो में विविधता लाना आवश्यक है। अल्पकालिक गिरावट से डर कर बाहर नहीं निकलना चाहिए; बल्कि इस अंतर को अवसर के रूप में देखना चाहिए।"
दीवाली की खरीदारी का सीजन अभी भड़क रहा है, इसलिए अगले दो‑तीन हफ्तों में कीमतों में फिर से उछाल देखने की संभावना है। अधिकांश बैंकों और ब्रोकरों ने बताया कि सोना अभी भी 2025 की सबसे अधिक लाभदायक एसेट में से एक माना जाता है।
यदि आप पहली बार निवेश करने वाले हैं, तो छोटे‑बड़े पैमाने पर खरीदना और दीर्घकालिक होल्डिंग का विचार रखना बेहतर रहेगा। लेकिन साथ ही, व्यापारियों को सावधानी बरतनी चाहिए; अत्यधिक उतार‑चढ़ाव से बचने के लिए स्टॉप‑लॉस सेट करना और बाजार की निरंतर निगरानी रखना ज़रूरी है।
धात्रेस के दौरान भारी खरीदारी के बाद बाजार में सप्लाई‑डिमांड का संतुलन बदला, जिससे अल्पकालिक लाभ बुक करने वाले निवेशकों ने मार्जिन कम करने के लिए बेच दिया, और यही गिरावट का मुख्य कारण बना।
वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि दीर्घकाल में सोना महँगी वस्तु बनी रहेगी, क्योंकि यह मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितता के विरुद्ध एक सुरक्षित आश्रय है। छोटा‑मोटा गिरावट को नजरअंदाज करके स्थायी होल्डिंग फायदेमंद हो सकती है।
सोने की कीमत 62.65% बढ़ी, 81,400 रुपये से 1,32,400 रुपये प्रति 10 ग्राम तक; चाँदी ने 70% की उछाल देखी, जिससे 2024‑2025 अवधि में दोनों धातुओं ने बहुत मजबूत रिटर्न दिया।
मुंबई और चेन्नई में 1,90,000 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत दर्ज हुई, जबकि कोलकाता और दिल्ली में 1,72,000 रुपये, यानी लगभग 18,000 रुपये का अंतर है। यह स्थानीय मांग और टैक्स संरचना का परिणाम है।
दीवाली‑सीज़न की बढ़ती ख़रीदारी, अस्थिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार, और धातु‑उत्पादक देशों की आपूर्ति नीतियां कीमतों को फिर से ऊपर ले जा सकती हैं। साथ ही, भारत के रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति बदलाव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
akash anand
19 अक्तूबर, 2025 . 19:01 अपराह्न
धात्रेस के बाद सोना‑चाँदी की कीमतों में आई गिरावट ने निवेशकों को सच्चा झटका दिया। इस अस्थायी सुधार को कई लोग बाजार की अस्थिरता का संकेत मान रहे हैं।