दुबई अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में 23 फरवरी को शुरू हुए इस कड़ी में भारत ने पहले से ही पाकिस्तान को अपने दबदबे में ले रखा था। टॉस जीतने के बाद पाकिस्तान ने पहले बैटिंग का फैसला किया। शुरुआती ओवरों में कुछ सीमलिंग चेज़ और चारों की मिलेजुली रही, लेकिन भारत की पेसिंग लाइन‑अप ने जल्दी ही दबाव बनाना शुरू किया।
हार्दिक पांड्या ने 6 वें ओवर में एक तेज़ छलांग लगाई—एक नज़र में इंग्लिश एज से शॉट मारते हुए प्रमुख बल्लेबाज को आउट कर दिया। यह विकेट पाकिस्तान की क्रमबद्धता को तोड़ने वाला पहला बड़ा मोड़ बना। पांड्या ने आगे दो और विकेट के साथ कुल विराट कोहली शताब्दी के लिए मंच तैयार किया, अंत में 2 विकेट के साथ 31 रन देकर खेल को अपनी पकड़ में ले लिया।
पाकिस्तान के बाकी बल्लेबाजों को भी असंगतियों का सामना करना पड़ा। असद शाकिब और बिलाल हफ़ीज़ के बीच का साझेदारी 45 रन पर टूट गया, और फिर शुजैन उल हुसैन पर दबाव बना। कुल मिलाकर पाकिस्तान 202 रन पर सीमित रह गया, जो लक्ष्य निर्धारण में भारत के लिए आसानी का संकेत था।
जब भारत ने चेज़ शुरू किया, तो शुरुआती ओवरों में अनिल कुंबले और रोज़र डेविस ने सुरक्षित खेलना चुना। फिर बल्ले की घुंटली का मानचित्र बदल गया जब विराट कोहली ने 70वें ओवर में तेज़ गति से अपनी शताब्दी शुरू की। कोहली ने 120 रन के निशाने को एक साथ चलाने वाले शॉट्स से हासिल किया—लंबी रेफ़ और किनारे के लिए गलीडर मारते हुए। उसकी पिच पर मौजूद क्षमता को देखते हुए, विरोधी गेंदबाजों को निरंतर बदलते रहना पड़ा, फिर भी कोहली ने अपने स्ट्राइक रेट को 135 पर रखकर खेल को नियंत्रित रखा।
कोहली के अलावा, रोहित शर्मा ने 45 रन बनाए और किवां त्रिपाठी ने तेज़ी से 30 रन बनाकर टीम को स्थिर किया। भारत ने 10 औट में लक्ष्य के 3 रन पीछे रहकर 201 रन का लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किया। कुल मिलाकर, मंच पर 8 विकेट और 183 रन की गति से विजय मिली, जिससे भारत ने अपने निरंतर जीत की लहर को जारी रखा।
सेमीफ़ाइनल में भारत का अगला मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तय हुआ है। अब टीम के कोच ने दोनों टीमों की लॉजिस्टिक और टैक्टिकल जरूरतों पर ज़ोर दिया है, खासकर गेंदबाज़ी में विविधता और बट्समैन के मध्य क्रम को स्थिर रखने पर। कोहली की फ़ॉर्म को देखते हुए, विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि वह 150 रन के आसपास की धारा बनाए रखेगा, जबकि पांड्या की पेसिंग इंटेंसिटी ऑस्ट्रेलिया के तेज़ बॉलर्स को परेशान कर सकती है।
दुबई में इस जीत से भारतीय टीम के मनोबल में इजाफा हुआ है और वे अब टूर्नामेंट के अंतिम चरण में अपने लक्ष्य को साकार करने के लिए तैयार दिखते हैं। प्रशंसकों की अपेक्षा भी बढ़ी है—उन्हें उम्मीद है कि कोहली की निरंतर शताब्दी और पांड्या की गति दौड़ से टीम अपना ट्रॉफी खिताब ठेस नहीं लेगी।