मंगलवार को जम्मू शहर में जबर्दस्त पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन हुए। ये प्रदर्शन उस समय शुरू हुए, जब जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के चार जवान शहीद हो गए। इस मुठभेड़ की शुरुआत सोमवार शाम को हुई थी और यह पिछले तीन हफ्तों में तीसरी बड़ी मुठभेड़ थी। शहीद जवानों में कैप्टन बृजेश थापा, नाइक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय शामिल हैं।
शिवसेना डोगरा फ्रंट (SSDF), मिशन स्टेटहुड और विभिन्न नागरिक समाज समूहों ने पूरे शहर में पाकिस्तान विरोधी नारों के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है और उन्होंने आतंकियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की।
मिशन स्टेटहुड के अध्यक्ष, सुनील डिंपल ने इस हमले को एक कायरतापूर्ण कदम बताते हुए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों और वहां के स्लीपर सेल्स को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इस तरह के हमलों को रोकने में विफल रही है और उन्हें आतंकवाद विरोधी नीतियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
शिवसेना डोगरा फ्रंट के अध्यक्ष अशोक गुप्ता के नेतृत्व में रानी पार्क में विरोध प्रदर्शन किया गया जहां प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए और पाकिस्तान के पुतले जलाए। गुप्ता ने पाकिस्तान के आतंकवाद को आसमान्गरूप और बर्बरता का उदाहरण बताया।
मुठी इलाके में भी नागरिक समाज के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया, जहाँ पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की गई और सरकार से निर्णायक कार्रवाई की माँग की गई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देकर शांति और स्थिरता को बाधित कर रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए शीघ्र और निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। विभिन्न समाजिक संगठनों ने एक पत्र भेजकर सरकारी अधिकारियों को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आग्रह किया।
जम्मू में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन दिखाते हैं कि जनता में आतंकवाद और शहीदों के प्रति गहरा क्रोध और दुख है। इन प्रदर्शनों ने सरकार को आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए बाधित कर दिया है।