ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को तीन विकेट से हराकर 2025 के टी20 सीरीज का तीसरा और अंतिम मैच जीत लिया, जिसके साथ चैपल-हैडली ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया के पास ही रही। इस जीत का श्रेय जाता है कप्तान मिशेल मार्श को, जिन्होंने अपना पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाया—एक ऐसा प्रदर्शन जिसने टीम को बचाया, दबाव को तोड़ा और सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली। मैच न्यूजीलैंड में खेला गया, जहां न्यूजीलैंड ने सिर्फ 100 रन बनाए, और ऑस्ट्रेलिया को उस निचले स्कोर के पीछे भी बड़ा संघर्ष करना पड़ा।
जब ऑस्ट्रेलिया ने चार्ज करना शुरू किया, तो उनकी टीम जल्द ही चार विकेट खोकर बिखर गई। फिर पांचवां, छठा, सातवां—सात विकेट गिर चुके थे, और सिर्फ 100 रन का लक्ष्य भी असंभव लग रहा था। तब आया था मिशेल मार्श। उनके नाम के साथ अब पूरी टीम की जिम्मेदारी थी। कमेंटेटर्स ने कहा, "मार्श अब जानते हैं, सब कुछ उन पर निर्भर है।" और वो जानते थे। 98 रन पर, जब उन्होंने एक लंबी गेंद को लगाया, तो स्टेडियम में एक शांति छा गई—"क्या ये चौके से बाहर जाएगा?" और फिर... बाउंड्री। विजयी बाउंड्री। उनका 101वां रन। एक शतक जो दिलों में बस गया।
न्यूजीलैंड ने जब बल्लेबाजी की, तो उनका स्कोर लगातार 99 तक रुका रहा। छह विकेट गिर चुके थे, और अंतिम बल्लेबाज बचे थे। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज एडम ज़म्पा ने दबाव बनाए रखा, जबकि जेवियर बार्टलेट ने एक ओवर में सिर्फ एक रन दिया—एक ओवर जिसे कमेंटेटर्स ने "वास्तव में अच्छा ओवर" कहा। न्यूजीलैंड के फील्डर्स में मैट हेनरी ने एक ऊंची गेंद को पकड़ा, जिसे "असंभव नहीं, बहुत मुश्किल" कहा गया। लेकिन फिर भी, 100 रन का लक्ष्य बहुत कम था। और वो बहुत ज्यादा दबाव बन गया।
ये मार्श का पहला टी20 शतक था। उन्होंने 49 गेंदों में 101 रन बनाए—एक बल्लेबाजी जिसमें बिना घबराए, बिना झिझके, सिर्फ आत्मविश्वास से खेला गया। उनकी बल्लेबाजी के बारे में कमेंटेटर्स ने कहा, "ये उनकी सबसे बेहतरीन पारी है।" और वो सच था। क्योंकि ये सिर्फ शतक नहीं था—ये एक बचाव था, एक नेतृत्व था, एक निर्णय था जिसने टीम को बचाया। उन्होंने अपने कप्तानी के तरीके को दिखाया: शांत, स्पष्ट, और जब जरूरत पड़ी, तो बहुत जल्दी फैसला लेने की क्षमता।
ये मैच सीरीज का तीसरा और अंतिम मैच था। पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने छह विकेट से जीत दर्ज की थी, जहां मार्कस स्टोइनिस ने जीत का बुखार लगाया था। अब दूसरे मैच में न्यूजीलैंड ने जीत ली थी, लेकिन तीसरे मैच में मार्श के शतक ने सीरीज को ऑस्ट्रेलिया के नाम कर दिया। चैपल-हैडली ट्रॉफी, जो 2004-05 से दोनों देशों के बीच खेली जा रही है, अब ऑस्ट्रेलिया के पास ही रही। कमेंटेटर्स ने एक बार फिर उसे "टैस्मन सागर के दूसरी ओर" रखने की बात कही—एक ऐसी भाषा जो दोनों देशों के बीच रही खेल की प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है।
इस जीत के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए अगला बड़ा टूर्नामेंट आईसीसी टी20 विश्व कप 2026 है। मार्श का ये प्रदर्शन उन्हें टूर्नामेंट के लिए कप्तान के रूप में मजबूत करता है। ज़म्पा और बार्टलेट जैसे गेंदबाजों की बुनियादी भूमिका ने दिखाया कि ऑस्ट्रेलिया के पास टी20 में बैलेंस्ड टीम है। लेकिन एक बात साफ है: जब टीम दबाव में हो, तो मार्श का बल्ला उनकी सबसे बड़ी ताकत है। अब उन्हें लगातार ऐसे प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी है।
2024 में न्यूजीलैंड ने चैपल-हैडली ट्रॉफी जीती थी, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने इस सीरीज में वापसी की। ये वापसी सिर्फ एक मैच की नहीं, बल्कि एक रणनीति की थी। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने इस सीरीज को एक अभ्यास के रूप में देखा था—टी20 विश्व कप के लिए टीम को तैयार करना। और अब वो तैयार हैं। मार्श का शतक ने न सिर्फ एक मैच जीता, बल्कि एक नए नेतृत्व को भी बनाया।
ये मार्श का पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय शतक था, और वो दबाव के बीच खेले गए—जब टीम के सात विकेट गिर चुके थे। उन्होंने 49 गेंदों में 101 रन बनाए, जिसमें आत्मविश्वास, शांति और निर्णय की क्षमता का बेहतरीन मिश्रण था। इसे कमेंटेटर्स ने उनकी "सबसे बेहतरीन पारी" बताया।
चैपल-हैडली ट्रॉफी 2004-05 से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच टी20 और एक दिवसीय मैचों में खेली जाती है। इसका नाम ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स आइरिस चैपल और न्यूजीलैंड के एलन हैडली के नाम पर रखा गया है। इस ट्रॉफी का अधिकांश हिस्सा ऑस्ट्रेलिया के पास रहा है, और 2025 की जीत के साथ ये दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया ने इसे वापस लिया।
मिशेल मार्श के अलावा, गेंदबाज एडम ज़म्पा ने 3 विकेट लिए और दबाव बनाए रखा। जेवियर बार्टलेट ने एक ओवर में सिर्फ एक रन देकर बल्लेबाजों को रोका। न्यूजीलैंड के फील्डर मैट हेनरी और टिमी रॉबिनसन ने भी अच्छे कैच लिए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी ने सब कुछ बदल दिया।
अगला बड़ा टूर्नामेंट आईसीसी टी20 विश्व कप 2026 है, जिसका आयोजन भारत में होगा। इस सीरीज के जरिए ऑस्ट्रेलिया ने अपनी टीम को दबाव के बीच बचाने की क्षमता दिखाई। मार्श की कप्तानी और ज़म्पा की गेंदबाजी ने उन्हें विश्व कप के लिए तैयार कर दिया है।
नहीं, न्यूजीलैंड ने बहुत अच्छी बल्लेबाजी की और सिर्फ 100 रन बनाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को दबाव में डाल दिया। उनके फील्डिंग और गेंदबाजी में बहुत अच्छाई थी। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ने एक ऐसा प्रदर्शन किया जिसे रोका नहीं जा सका। न्यूजीलैंड की टीम अभी भी बहुत मजबूत है।
मैच के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। कमेंटेटर्स ने बताया कि टीम के सदस्यों ने उन्हें उठाकर उनके कंधों पर बैठा दिया। टीम के बैकग्राउंड स्टाफ ने कहा, "ये वो पल था जब हमें लगा कि हम वाकई एक असली टीम हैं।"