वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं जो भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं। इस साल का बजट वित्तीय समेकन और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में था, जो विशेष रूप से गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए लाभदायक था।
बजट में पांच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
इन घोषणाओं का भारतीय शेयर बाजार पर मिला-जुला असर पड़ा। कुछ क्षेत्रों जैसे FMCG और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिला, जबकि पूंजीगत लाभ कर की वृद्धि और बढ़े हुए STT के कारण अन्य क्षेत्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। प्रमुख सूचकांक, सेंसेक्स और निफ्टी, प्रारंभ में गिरावट दर्ज की लेकिन अंततः लगभग समान में बंद हो गए, जिसमें सेंसेक्स 80,429.04 पर और निफ्टी 24,479.05 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों ने इस बजट की मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि निवेशकों को रक्षात्मक क्षेत्रों और हेज्ड ट्रेड्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस बजट ने खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या को भी उजागर किया, जिनकी संख्या 9.5 करोड़ से अधिक हो गई है और कुल मिलाकर 2,500 सूचीबद्ध कंपनियों में करीब 10% की भागीदारी है, जिसमें 36 लाख करोड़ रुपये का धन शामिल है।
बजट ने खुदरा निवेशकों के योगदान को भी रेखांकित किया। डेटा के अनुसार, अब 9.5 करोड़ से अधिक खुदरा निवेशक भारतीय शेयर बाजार में शामिल हैं, जिनका कुल बाजार मूल्य लगभग 36 लाख करोड़ रुपये है। यह दर्शाता है कि बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है, जिससे बाजार का विस्तार और बाजार में स्थिरता आई है।
कुल मिलाकर, बजट 2024-25 को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। कुछ सुधारात्मक उपायों की तारीफ की जा रही है जबकि अन्य के प्रभाव पर पुनर्विचार करने की जरूरत महसूस की जा रही है। बाजार के भविष्य के रुख को समझने के लिए निवेशकों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें और स्थिर रुझानों पर निवेश करें।