तुर्की के शूटर यूसुफ दीकेच ने पेरिस ओलम्पिक 2024 में सिल्वर मेडल जीतकर न सिर्फ अपने देश का नाम रोशन किया, बल्कि अपनी अद्वितीय स्टाइल के कारण सोशल मीडिया पर धूम मचा दी। उनके इस अनोखे अंदाज ने न केवल शूटिंग की दुनिया में एक नया ट्रेंड सेट किया, बल्कि आम आदमी के दिलों में खास जगह बनाई।
वह 51 वर्ष के हैं और ओलम्पिक खेलों में 2008 से ही लगातार अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। इस बार उन्होंने मिक्स्ड टीम 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। उनके टीममेट सेववाल इलायदा तर्हान के साथ मिलकर उन्होंने तुर्की के लिए यह ऐतिहासिक मेडल अपने नाम किया, जोकि तुर्की का पहला ओलम्पिक शूटिंग मेडल था।
यूसुफ की शूटिंग स्टाइल बेहद अनोखी है और इसने इंटरनेट पर धूम मचा दी है। आमतौर पर शूटर ध्यान केंद्रित करते हुए राइफल को दोनों हाथों से पकड़ते हैं, लेकिन यूसुफ ने एक हाथ पेंट में डालकर बेहद कैजुअल अंदाज में शूटिंग करते हुए मेडल जीता। उनकी यह अलग और आकर्षक स्टाइल देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लोग उन्हें आम आदमी के नायक की तरह देखने लगे। साथ ही, उनकी तुलना एक हिटमैन से भी की जाने लगी।
यूसुफ की इस लोकप्रियता का आलम यह है कि इंटरनेट पर उनके कई मीम्स और वीडियो बन चुके हैं। खुद यूसुफ ने भी इसे इंजॉय करते हुए इंस्टाग्राम पर अपने हिंदी और तुर्की भाषा के मीम वीडियो भी शेयर किए हैं।
इस दौरान, वह अपने व्यक्तिगत प्रतियोगिता में 13वें स्थान पर रहे, परन्तु उन्होंने जो इम्प्रेशन छोड़ा, वह अद्वितीय है। यूसुफ ने अपने सफर को यहीं नहीं रोकने का इरादा किया है, बल्कि उन्होंने आगामी 2028 लोस एंजिल्स ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद जताई है।
फ्रांसीसी राजधानी में यूसुफ और तर्हान का शानदार स्वागत किया गया। चैंपियंस पार्क में दोनों का तालियों और प्रशंसा के साथ स्वागत हुआ, जहां वे अपने प्रशंसकों के साथ खुशियां बांट रहे थे। यह उन सभी के लिए एक गर्व का क्षण था, जिन्होंने इस जीत के पीछे अपना योगदान दिया।
यूसुफ की कहानी हमें यह सिखाती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। उनकी सफलता उम्र, अनुशासन और समर्पण की पराकाष्ठा को दर्शाती है। उनकी यह यात्रा न केवल तुर्की के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक मिसाल कायम करती है।
1967 में जन्मे यूसुफ ने अपने करियर की शुरुआत सेना में एक अधिकारी के तौर पर की थी। उनकी निशानेबाजी की कला ने उन्हें सेना में और भी मंझा हुआ बनाया। इस वजह से यूसुफ का सैन्य अनुशासन और खेल के प्रति समर्पण हमेशा उनके साथ रहा।
यूसुफ ने ओलम्पिक में अपने कदम 2008 बीजिंग ओलम्पिक के माध्यम से जमाए थे। उसके बाद से उन्होंने 2012 लंदन, 2016 रियो और 2020 टोक्यो ओलम्पिक में भी भाग लिया। परन्तु पेरिस ओलम्पिक 2024 में वह उस उपलब्धि को हासिल करने में सफल रहे, जिसके वह हकदार थे।
2024 के पेरिस ओलम्पिक में उन्होंने अपने देश के लिए शूटिंग में पहला ओलम्पिक मेडल जीता और वह भी अपने अनोखे अंदाज में। उनकी यह सफलता केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि उनके परिवार, कोच और उन सभी लोगों की भी देन है जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की।
यूसुफ की इन उपलब्धियों ने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और समर्पण के साथ किए गए प्रयास कभी बेकार नहीं जाते। अब उनकी नजरें 2028 लोस एंजेल्स ओलम्पिक पर हैं, जहां वह गोल्ड मेडल जीतने का सपना संजो रहे हैं।
यूसुफ और उनकी टीम का स्वागत पेरिस में बेहद धूमधाम से किया गया। चैंपियंस पार्क में लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। यह आयोजन ना केवल एक सम्मान समारोह था, बल्कि यह फैंस के साथ जुड़ने का भी एक अवसर था, जहां यूसुफ और उनकी टीम ने अपनी खुशियों को प्रशंसकों के साथ बांटा।
यूसुफ ने इस मौके पर अपने फैंस के साथ समय बिताया और अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इसके वीडियो और फोटो भी साझा किए। यूसुफ की यह लोकप्रियता कोई सामान्य घटना नहीं है। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज और मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है।
2028 लोस एंजेल्स ओलम्पिक में उनकी क्या उपलब्धि होगी, यह तो समय ही बताएगा, परन्तु वर्तमान में उनकी यह यात्रा और सफलता सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई है।