रॉस्टन चेज़ ने भारत की पिच की चुनौतियों पर संकेत दिया, न्यूज़ीलैंड फुटेज का कोई बयान नहीं

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रॉस्टन चेज़ ने भारत की पिच की चुनौतियों पर संकेत दिया, न्यूज़ीलैंड फुटेज का कोई बयान नहीं

जब रॉस्टन चेज़, वेस्ट इंडीज कप्तान और क्रिकेट वेस्ट इंडीज (CWI) ने 4 अक्टूबर 2025 को अहमदाबाद में भारत के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद मीडिया को बताया, तो वह पूरी तरह से अपनी टीम की बैटिंग‑गलतीयों पर ही फोकस कर रहे थे। भारत ने 448 रनों की बड़ी कुल घोषणा कर ली, जबकि वेस्ट इंडीज 162 और 146 पर आउट हो गई – यानी इन्निंग्स में 140 रनों से पीछे रह गई। चेज़ ने कहा, "हमारी बैटिंग ही मुख्य समस्या है, हमने एक भी 50‑रन की साझेदारी नहीं बनाई". यह बात तो साफ़‑साफ़ थी, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स ने दावा किया कि उन्होंने भारतीय ‘होम‑वुंड्स’ और न्यूज़ीलैंड सीरीज़ के फुटेज का भी जिक्र किया था – ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला।

मैच का सारांश

पहला टेस्ट भारत बनाम वेस्ट इंडीज पहला टेस्टअहमदाबाद में खेला गया। भारत की टीम ने बदलते पिच पर रोहित शर्मा के नेतृत्व में जोरदार 448/6 बनाया, जिसके बाद दोनों पारी में वेस्ट इंडीज को क्रमशः 162 और 146 पर आउट कर दिया गया। इस हार से भारत ने एक इनिंग में 140 रनों की भारी जीत हासिल की।

रॉस्टन चेज़ के बयानों की पैठ

बिल्कुल बाद में कुछ अंतर्राष्ट्रीय समाचार पोर्टल्स ने "चेज़ ने भारतीय पिच की ‘होम‑वुंड्स’ का ज़िक्र किया और न्यूज़ीलैंड सीरीज़ के फुटेज का हवाला दिया" – ऐसी बातों को कई बार पुनःप्रकाशित किया गया। लेकिन हमारे पास उपलब्ध आधिकारिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस, विडियो क्लिप और विश्वसनीय रिपोर्टों में ऐसा कोई बयान नहीं है। चेज़ ने सिर्फ अपनी टीम की साझेदारी की कमी और भारत की पिच पर बड़े स्कोर बनाने की ज़रूरत पर जोर दिया।

ऐसा लगता है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट और ब्लॉग्स ने बेतरतीब अनुमान लगाए, जिससे भ्रम पैदा हुआ।

भारत की होम रिकॉर्ड की पृष्ठभूमि

भारत की होम‑पिच अक्सर तेज़ घूर्णन और बाद में बिगड़ती गति के कारण विदेशी टीमों के लिए चुनौती बनती है। 2016‑2020 के बीच, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका ने भारतीय पिच पर कई बार हार झेली। फिर भी, 2023‑24 में भारत ने अपने घर में 11 में से 9 टेस्ट जीते, जिसका बड़ा कारण उनका बॉलिंगर्स का आधुनिकीकरण और डिवेलेक्टेड पिच प्रोफ़ाइल था।

इस पृष्ठभूमि को देखते हुए, "होम‑वुंड्स" के शब्द का उपयोग करने पर कई भारतीय क्रिकेट विशेषज्ञों ने सवाल उठाया – क्या वाकई में भारत के होम‑कुशलता में कोई गिरावट है? अभी तक कोई ठोस आँकड़ा नहीं है, लेकिन लगातार डिक्लेरेशन और फ़्लाइटिंग पिचिंग स्ट्रैटेजी से यह सोचा जाता है कि विदेशी टीमों को आगे‑पीछे दो-तीन दिन में रणनीति बदलनी पड़ती है।

वेस्ट इंडीज की टीम की कमजोरियां

चेज़ ने सही कहा – टीम ने एक भी 50‑रन साझेदारी नहीं बनाई। यह अभूतपूर्व नहीं है; पिछले कई टूरों में वेस्ट इंडीज की बैटिंग लाइन‑अप असंगत रही है। मुख्य बिंदु:

  1. टॉप‑ऑर्डर में निरंतर गिरावट – जेफ़र डेविडसन और केनिसा लैबेन ने औसत 30 से कम बनाया।
  2. मिड‑ऑर्डर में विश्वसनीयता की कमी – टाइगर डोनाटो और फिराक मैसन की फॉर्म अनिश्चित रही।
  3. स्पिनर‑पेयरिंग की कमी – रॉकविल गिलिंगर की पिच‑स्थिति में कम प्रभाव।

इन समस्याओं के कारण ही टीम ने भले ही रॉलिंग ग्राउंड में बॉलिंग का फायदा उठाया, पर लंबी साझेदारियां बनाने में असफल रही।

आगे क्या संभावनाएं

आगे क्या संभावनाएं

अब बारी है दूसरी टेस्ट की, जो दिल्ली में 10 अक्टूबर को शुरू होगी। यहाँ पिच फिर से तेज़ बॉलिंग के लिए तैयार रह सकती है, पर इंडियन टीम इस बार पहेली को और आसान बना सकती है। वेस्ट इंडीज को अपने बैटिंग को पुनःस्थापित करने के लिए दो-तीन अनुभवी खिलाड़ियों को मध्य‑ऑर्डर में जगह देना पड़ेगा। कोच रॉबिनसोला तीली ने पहले ही कहा है कि टीम को “ज्यादा धैर्य” चाहिए।

यदि चेज़ ने वास्तव में भारत की पिच की कमजोरियों पर कोई टिप्पणी की होती, तो उसे टीम की रणनीति पर गंभीर प्रभाव पड़ता। लेकिन अब तक ऐसा कोई बयान नहीं मिला, इसलिए मीडिया की रूढ़िवादी रिपोर्टिंग पर सवाल उठाना ज़रूरी है।

तथ्यात्मक बिंदु

  • पहला टेस्ट: भारत 448/6 (डिक्लेयर), वेस्ट इंडीज 162 और 146.
  • खेल का परिणाम: भारत ने 1‑इनिंग में 140 रनों से जीत हासिल की.
  • रॉस्टन चेज़ ने बैटिंग की कमी को प्रमुख कारण बताया.
  • कोई आधिकारिक बयान नहीं मिला जिसमें वह भारत के ‘होम‑वुंड्स’ या न्यूज़ीलैंड फुटेज का उल्लेख करता हो.
  • दूसरा टेस्ट 10‑15 अक्टूबर दिल्ली में निर्धारित.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रॉस्टन चेज़ ने भारत के बारे में क्या कहा?

वेस्ट इंडीज के पहले टेस्ट के बाद चेज़ ने बताया कि उनकी टीम की बैटिंग ही मुख्य समस्या रही, उन्होंने कोई भी 50‑रन साझेदारी नहीं बनाई। भारत की पिच या न्यूज़ीलैंड फुटेज के बारे में उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।

क्या चेज़ ने भारतीय ‘होम‑वुंड्स’ का ज़िक्र किया?

नहीं। उपलब्ध आधिकारिक स्रोतों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। कुछ अनौपचारिक रिपोर्टों में इसका उल्लेख हुआ, लेकिन वह भरोसेमंद नहीं माने जाते।

वेस्ट इंडीज को बैटिंग में क्या सुधार करना चाहिए?

सबसे पहले टॉप‑ऑर्डर को स्थिरता चाहिए, फिर मिड‑ऑर्डर में दो टॉप स्कोरर की उपस्थिति आवश्यक है। साथ ही, पिच के अनुसार खेलने की क्षमता और साझेदारी बनाने का मानसिकता विकसित करना होगा।

भारत की पिच पर विदेशी टीमों को कौन‑सी कठिनाइयाँ मिलती हैं?

भारतीय पिच अक्सर तेज़ बॉल और फिर धीरे‑धीरे घूर्णन बदलती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बैट्समैन को तेज़ गति और बाद में बदलाव से निपटना पड़ता है। इस कारण कई बार उन्होंने पहले दिन के बाद स्कोरिंग में गिरावट दिखाई है।

दूसरा टेस्ट कब और कहाँ खेलेगा?

दूसरा टेस्ट 10‑15 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली के राज्य स्तरीय मैदान पर निर्धारित है। इस पिच पर तेज़ बॉलिंग और बाद में स्पिन दोनों का परिक्षण होगा।

Chandni Mishra

Chandni Mishra

मैं एक भारतीय समाचार लेखिका हूँ। मुझे भारतीय दैनिक समाचार पर लेख लिखने का शौक है। मैं अपने घर पर रहकर काम करती हूँ और अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हूँ। शीर्ष समाचार और घटनाओं पर लिखते हुए मैं समाज को सूचित रखने में विश्वास रखती हूँ।

11 Comments

santhosh san

santhosh san

6 अक्तूबर, 2025 . 04:16 पूर्वाह्न

वेस्ट इंडीज की विफलता को केवल उनकी अनियमित बैटिंग कहा जा सकता है।

Shreyas Badiye

Shreyas Badiye

7 अक्तूबर, 2025 . 08:03 पूर्वाह्न

पहले तो कहना चाहूँगा कि टेस्ट क्रिकेट की महानता में हर एक पिच का अपना रोल होता है, लेकिन आज की स्थिति में हमें थोड़ा आत्मनिरीक्षण करना चाहिए :) . भारत की पिच पर तेज़ बॉल और बाद में घूर्णन का बदलाव अक्सर विदेशी टीमों को असहज कर देता है, यह तथ्य किसी भी आँकड़े से सिद्ध होता है . वेस्ट इंडीज की बैटिंग में निरंतरता की कमी स्पष्ट थी, उनके टॉप ऑर्डर ने लगातार कम स्कोर बनाया, यह एक बड़ा संकेत है . हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि पिच का आकार ही समस्या है, पर वास्तविकता यह है कि टीम की तैयारी और मानसिकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है . इस संदर्भ में हमारे कोचों को चाहिए कि वे खिलाड़ियों को लम्बी साझेदारी बनाने की आदत डाले, तभी हम विदेश में भी जीत सकते हैं . ऐसा नहीं है कि भारतीय पिच हमेशा विदेशी टीमों के लिये आसान हो, कई बार यह उल्टा भी साबित हुआ है . बात करें @वेस्टइंडीज की तो उनका बॉलिंग प्रदर्शन ठीक रहा, लेकिन बैटिंग ने पूरी टीम को नीचे खींचा . इस दौर में रणनीति में बदलाव जरूरी है, जैसे कि मध्यम क्रम में कुछ अनुभवी बल्लेबाजों को स्थिर भूमिका देना . हमारी ड्राइंग में यह भी दिखाया गया है कि पिच के बाद के दिनों में स्पिन की भूमिका बढ़ जाती है, इसलिए स्पिनर को शुरुआती ओवर में ज्यादा गेंदें नहीं चाहिए . हमें यह भी समझना चाहिए कि हर पिच पर एक ही योजना नहीं चल सकती, इसलिए लचीलापन जरूरी है . इस दीर्घकालिक सुधार के लिए स्कूल स्तर पर भी बुनियादी तकनीक पर ध्यान देना चाहिए, तभी भविष्य में हमारी टीमें एकसाथ स्कोर बना पाएँगी . अंत में, मेरे हिसाब से यह सही होगा कि हम अपने खिलाड़ियों को मानसिक दृढ़ता के साथ तैयार करें, ताकि वे दबाव में भी अच्छे शॉट खेल सकें :) . कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि टीम की बैटिंग में सुधार एक प्राथमिकता होनी चाहिए, तभी हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थायी सफलता प्राप्त कर पाएँगे . धन्यवाद।

Jocelyn Garcia

Jocelyn Garcia

8 अक्तूबर, 2025 . 11:50 पूर्वाह्न

हमारी टीम को तुरंत एक स्थिर टॉप ऑर्डर चाहिए, नहीं तो निरंतर गिरावट आगे भी जारी रहेगी। मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि मध्य क्रम में दो विश्वसनीय स्कोरर की उपस्थिति अनिवार्य है, यह रणनीतिक सुधार नहीं तो दुर्भाग्य है। साथ ही, पिच के अनुसार खेलने की क्षमता विकसित करना चाहिए, जिससे साझेदारी बन सके। हमारा फोकस सिर्फ गेंदबाज़ी नहीं, बल्कि बैटिंग की मूलभूत तकनीकों पर भी होना चाहिए। इस दिशा में कोचिंग स्टाफ को सख्त अनुशासन लागू करना होगा, नहीं तो परिणाम वही रहेगा।

Sagar Singh

Sagar Singh

9 अक्तूबर, 2025 . 15:36 अपराह्न

वाह क्या मुठभेड़ थी
गिरते सूरज जैसा लगा वेस्ट की बैटिंग
कोई शिखर नहीं मिला
सब कुछ नीचे की तरफ गिरा

aishwarya singh

aishwarya singh

10 अक्तूबर, 2025 . 19:23 अपराह्न

मैं सोच रहा हूँ कि इस हार से क्या सीखा जा सकता है। बैटिंग में निरंतरता की कमी स्पष्ट थी, लेकिन साथ ही पिच की तैयारी भी देखनी चाहिए। साथ में, कोचिंग स्टाफ के नए विचारों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है। कुल मिलाकर, यह एक सीख की प्रक्रिया है और हमें आगे सुधार पर ध्यान देना चाहिए।

Ajay Kumar

Ajay Kumar

11 अक्तूबर, 2025 . 23:10 अपराह्न

देखो भाई, ये पूरी गेम का फॉर्मूला है-बात तो वही है कि वेस्ट इंडीज ने अपने बॉलिंग को धुंधला कर दिया, पर बैटिंग में तो एकदम बत्ती गुल! मैं कहूँगा, उनका टॉप ऑर्डर एक झुर्रीदार मंजन जैसा है, कंपन तो नहीं, पर सुगंध नहीं। दूसरी ओर, भारत की पिच तो जैसे एक चमकीला ज्वाला, जहाँ स्पिनर जलते‑जलते बॉल्स को चुराते हैं। असल में, अगर वे अपने लुक्स को सही बदलें, तो शायद इस बार कुछ सॉलिड साझेदारी बन सके। लेकिन अब तक तो सब कुछ उलझा‑झुड़ गया है, जैसे पुरानी किताब में पन्ने छपते ही गायब हो जाते हैं।

somiya Banerjee

somiya Banerjee

13 अक्तूबर, 2025 . 02:56 पूर्वाह्न

ये क्या बकवास है भाई! हमारे देश की पिच पर विदेशी टीमों को टकटकी लगाना कोई नई बात नहीं है, पर फिर भी वो लोग इतना बोलते‑बोलते थक गये हैं। हमें तो गर्व है कि हमारे घर की डगर में ऐसा माहौल है जहाँ गेंदबाज़ी खतरनाक बन जाती है, और यही हमारी ताकत है! अगर वे हमें लेकर कोई फुसफुसाते हैं तो हम कह देते हैं‑ बवाल नहीं, अपना रिवाज है, अपना नियम है, हमारे मैदान पर जीत हमारा ही फर्ज़ है।
तो चलिए, अगली टेस्ट में भी वही दिखाते हैं, कि भारत की पिच पर जीत हमारी ही जीत है!

Rahul Verma

Rahul Verma

14 अक्तूबर, 2025 . 06:43 पूर्वाह्न

सच बताता हूँ ये सब मीडिया की साजिश है पिच को लेकर बनाये गये किस्से इन्हें देखकर आप खुद को धोखा मैँ समझेंगे पर ए सब झूठ है

Vishnu Das

Vishnu Das

15 अक्तूबर, 2025 . 10:30 पूर्वाह्न

यदि हम, एक सामूहिक रूप से, इस परिस्थिति का विस्तृत विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है, कि पिच की तकनीकी बारीकियों, मौसम के परिवर्तन, तथा खिलाड़ियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति, ये सभी, एक जटिल समीकरण में योगदान देते हैं; इस प्रकार, केवल एक‑एक तत्व को अलग‑अलग देखना, संभवतः, सम्पूर्ण चित्र को समझने में बाधा बन सकता है, इसलिए, हमें समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो कि, सभी कारकों को एक साथ जोड़ता है, ताकि हम सटीक निष्कर्ष निकाल सकें।

sandeep sharma

sandeep sharma

16 अक्तूबर, 2025 . 14:16 अपराह्न

चलो टीम, अब वक्त आ गया है कि हम अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ें! इस हार को प्रेरणा बनायें, अगली टेस्ट में पूरी जोश के साथ मैदान पर उतरें। याद रखें, असफलता सिर्फ एक अस्थायी कदम है, असली जीत हमारी दृढ़ता में है।

pragya bharti

pragya bharti

17 अक्तूबर, 2025 . 18:03 अपराह्न

जब हम पिच की कहानी सुनते हैं, तो वह सिर्फ मिट्टी के टुकड़े नहीं, बल्कि इतिहास की एक छुपी ध्वनि है; हर ग्रेन में एक कथा बसी होती है, जो हमें बताती है कि खेल केवल आंकड़े नहीं, बल्कि आत्मा का प्रतिबिंब है।

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