नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तीसरे रूप माँ चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। माँ चंद्रघंटा का नाम उनकी पेशानी पर स्थित अर्धचंद्र के कारण पड़ा है, जो शक्ति और शांति का प्रतीक है। माना जाता है कि इस रूप में माँ पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के बाद अत्यधिक सजगता और सौंदर्य का धारण किया था। उनका वाहन शेर उनकी साहसिकता का प्रतीक है और उनके दस हाथ विविध अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित होते हैं, जिनमें सुरक्षा, शक्ति और संघर्ष की शक्तियां समाहित होती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से भक्तों को हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वे समृद्धि, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति करते हैं। जो व्यक्ति सच्चे हृदय से वीरता और अशलता की देवी की उपासना करता है, उसे मुश्किलों का सामना करने की शक्ति और साहस प्राप्त होता है। उनका आशीर्वाद ग्रहण कर, न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता का प्रवेश होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। उनके द्वारा साझा किए गए एक वीडियो संदेश में, पीएम मोदी ने देवी के आशीर्वाद की कामना की और इस दिन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने देवी से विनती की कि वे सभी के जीवन में खुशहाली, शांति और स्वास्थ लेकर आएं। प्रधानमंत्री के वक्तव्य ने धार्मिक आस्था को और भी गहराई से जोड़ते हुए देशवासियों को आध्यात्मिक उत्सव के प्रति प्रेरित किया।
पीएम मोदी का यह कदम न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिखाता है कि वे भारतीय संस्कृति और धरोहर से कितने करीब से जुड़े हुए हैं। उनके इस प्रकार के कार्य उनके समर्थकों को गहरे भावनात्मक स्तर पर जोड़ने का काम करते हैं। इसके माध्यम से, वे भारतीय समाज के उस हिस्से को भी प्रेरित करते हैं जो अपनी परंपराओं और धर्म के प्रति बहुत श्रद्धाभाव रखता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का प्रारंभ स्नान और पवित्रता के साथ होता है। भक्तजन पूजा स्थल को साफ कर, माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं। उन्हें लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित किए जाते हैं, जो उनकी शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद आरती की जाती है और विसर्जन के समय विशेष मंत्रों का उच्चारण कर देवी से समृद्धि और शांति की कामना की जाती है।
इसके साथ ही, पूजन में गुड़, धूप और कपूर का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। माँ चंद्रघंटा को शहद का विशेष नैवेद्य चढ़ाया जाता है, जो उनके प्रति मधुरता और श्रद्धा प्रकट करने का संकेत है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन की उपासना से देवी के सभी रूपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन की पूजन को सुनिश्चित रूप से सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रतिपदा तिथि के अंत तक किसी भी समय माँ चंद्रघंटा का पूजन करना कल्याणकारी होता है। विशेष रूप से जब ग्रह नक्षत्र और दिन का योग शुभ हो, तब किया गया पूजन अधिक फलदायी होता है। श्रद्धालुओं के लिए यह जानना आवश्यक है कि इस दिन की पूजा का हर क्रियाकलाप एक आध्यात्मिक अनुष्ठान की तरह होता है, जो समर्पण और आस्था के साथ पूरा किया जाता है।
नवरात्रि के इन नौ दिनों में हर देवी की विशेष पूजा और आराधना से पारिवारिक सुख-शांति और धन-समृद्धि का वरदान मिलता है। भक्तों के जीवन में माँ चंद्रघंटा के आशीर्वाद से संकटों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसलिए इस दिन को महत्वपूर्व समझकर पूरी आस्था के साथ पूजा करना चाहिए।