सीरिया में एक बार फिर से राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है। दक्षिणी शहर दारा, जो कभी विपक्षी हौसलों की शुरुआत का केंद्र था, अब एक बार फिर असद सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गया है। यह मामला राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता के लिए एक कठोर चुनौती प्रस्तुत करता है। यह शहर 2011 में असद विरोधी विद्रोह का पालना था और फिर से इसका नियंत्रण खोना, असद शासन के लिए एक बड़ा झटका है।
दारा की ऐतिहासिक महत्ता सीरियाई संघर्ष के दौरान और अधिक बढ़ गई थी। यह शहर दक्षिणी सीरिया का एक अहम रणनीतिकीय बिंदु है और इसका देर से नियंत्रण खोना सीधे-सीधे असद शासन के लिए मुश्किलें बढ़ाता है। इससे पहले, 2018 में रूस द्वारा मध्यस्थता किए गए एक ceasefire के तहत यह शहर सरकारी नियंत्रण में आ गया था, लेकिन हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि वहां की स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है।
दारा में सरकार की हार, विद्रोही गुटों के बढ़ते प्रभाव और संगठनों के एकीकृत प्रयासों का परिणाम है। नवंबर 27 को, हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही गठबंधन ने आक्रमण शुरू किया, जिसने सरकार को कई क्षेत्रों से बाहर कर दिया। यह आक्रमण भी सीरिया के लिए चिंताजनक है क्योंकि उत्तर में स्थित महत्वपूर्ण शहर अलेप्पो और हमा भी विद्रोही नियंत्रण में आ गए हैं।
इस बीच, दारा में घटनाक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी हलचल मचा दी है। इरान, इराक और सीरिया के विदेश मंत्री हाल ही में बगदाद में मिले थे। इस बैठक में सीरिया ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार के विरोधी राजनीतिक नक्शा बदलने की कोशिश में लगे हैं। इरान ने असद सरकार को मदद देने की प्रतिज्ञा की लेकिन ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि तेहरान ने अपने कुछ सैन्य कमांडरों और सैनिकों को सीरिया से वापस बुला लिया है।
सीरिया की वर्तमान स्थिति का विश्व स्तर पर गहरा असर पड़ रहा है। इस देश में जारी संघर्ष ने अबतक 500,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है और आधे से अधिक जनसंख्या को उनके घरों से विस्थापित कर दिया है। हालात अब भी अस्थिर हैं और देश में राजनीतिक सत्ता के पुनर्स्थापन में कई बाधाएं खड़ी हो चुकी हैं। इन परेशानियों के बावजूद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में यह संघर्ष किस दिशा में जाता है।