झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख हेमंत सोरेन को शुक्रवार की शाम को बीरसा मुंडा जेल से रिहाई मिल गई, जब झारखंड हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जनवरी में भूमि घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया था। उनकी यह रिहाई उनके समर्थकों और पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात है।
हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "यह दिन बहुत लंबे समय बाद आया है। हम इस जमानत आदेश के लिए बहुत आभारी हैं।" जेल के बाहर JMM के कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे, जिन्होंने सोरेन को शुभकामनाएं दीं और हाई कोर्ट का धन्यवाद किया।
सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने नकली विक्रेताओं और खरीदारों के माध्यम से करोड़ों रुपये की भूमि का हेराफेरी की। ED ने आरोप लगाया कि सोरेन ने 8.5 एकड़ भूमि अवैध रूप से अर्जित की थी और इस भ्रष्टाचार में राजस्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद जैसे कई सरकारी अधिकारी शामिल थे। जनवरी में उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही उनपर कई जांच की गई थी। ED ने उनके पास से ₹36 लाख नकद और विभिन्न महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए थे।
इस मामले की जांचों के बीच हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि उनके खिलाफ मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया।
इस जांच के दौरान, झारखंड हाई कोर्ट ने ED को कड़े कदम उठाने से भी मना किया था किए थे, जिसमें सोरेन द्वारा ED अधिकारियों पर उनके खिलाफ भ्रामक सूचना फैलाने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था।
सोरेन ने झारखंड विधायक सभा के बजट सत्र में भाग लेने के लिए हाई कोर्ट से अनुरोध किया था, जिसे अदालत ने 29 फरवरी को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही झारखंड पुलिस ने ED अधिकारियों को जांच में शामिल होने का निर्देश भी जारी किया था।
हेमंत सोरेन की रिहाई और उनके केस का भविष्य अब राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों के बीच चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है।