शिवम दूबे ने कभी युवराज सिंह की नकल नहीं की: कोच ने एशिया कप जीत के बाद दी बड़ी दावा

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शिवम दूबे ने कभी युवराज सिंह की नकल नहीं की: कोच ने एशिया कप जीत के बाद दी बड़ी दावा

दुबई के इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में 28 सितंबर, 2025 की रात को भारत ने पाकिस्तान को पांच विकेट से हराकर एशिया कप 2025 का खिताब जीत लिया। लेकिन इस जीत का सबसे बड़ा कहानी वाला पात्र वो नहीं था जिसका नाम सभी लिख रहे थे — हार्दिक पंड्या। बल्कि वो था शिवम दूबे, जिसने चोटिल दिग्गज के अनुपस्थिति में अपनी बॉलिंग और बल्लेबाजी से टीम को जीत के कगार पर ले गया। और जब लोग उसे युवराज सिंह के साथ तुलना करने लगे, तो उसके प्रशिक्षक ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सबको हैरान कर दिया — "शिवम दूबे ने कभी युवराज सिंह की नकल नहीं की।"

हार्दिक की चोट, शिवम का उभार

भारत के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या को श्रीलंका के खिलाफ सुपर 4 मैच में हैमस्ट्रिंग की चोट लग गई थी। वो बल्लेबाजी के बाद गेंदबाजी के लिए आए, एक ओवर फेंका — कुसल मेंडिस को गोल्डन डक पर आउट किया — और फिर ड्रेसिंग रूम की ओर चल दिए। उनकी अनुपस्थिति में शिवम दूबे को नए बॉल के साथ भेजा गया। उन्होंने तीन ओवर में 23 रन दिए और दो विकेट लिए। उनकी गेंदें जमीन से अजीब बाउंस दे रही थीं, और उनके दोनों विकेट (सैम अयूब और अहमद शाह) ने पाकिस्तान के शुरुआती तेज़ शुरुआत को रोक दिया।

बल्लेबाजी में जब भारत 77 पर 4 विकेट पर था, तो दूबे ने 22 गेंदों में 33 रन बनाए — दो छक्के और दो चौके। उनकी जोड़ी तिलक वर्मा के साथ, जिन्होंने 69* बनाए, ने मैच का निर्णय कर दिया। दूबे की बल्लेबाजी ने उनके लिए एक नया चेहरा बना दिया — वो अब सिर्फ एक ऑलराउंडर नहीं, बल्कि एक क्लच प्लेयर बन गए।

"कभी नकल नहीं की" — कोच का बयान

शिवम दूबे के कोच सतीश समंत, जो बांद्रा की संजीवनी क्रिकेट अकादमी के मालिक हैं, ने रविवार को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि दूबे ने अपनी शुरुआत 10 साल की उम्र में चंद्रकांत पांडित के कोचिंग क्लिनिक से की थी। लेकिन 13 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया। फिर 17 साल की उम्र में उनके पिता राजेश दूबे ने उन्हें समंत के पास ले आया।

"हम देख रहे थे कि लोग शिवम को युवराज सिंह के साथ तुलना कर रहे हैं — उनकी बल्लेबाजी की शैली, उनका अंदाज़, उनकी ओवर बाउंस की गेंदबाजी," समंत ने कहा। "लेकिन शिवम ने कभी युवराज की नकल नहीं की। वो अपनी अलग जिंदगी जी रहे हैं। उनकी गेंदबाजी का फॉर्मेट युवराज से अलग है — वो जमीन पर गेंद लेते हैं, वो बाउंस नहीं बनाते, बल्कि उसे जन्म देते हैं। युवराज ने टीम को बचाया, शिवम ने इस मैच को बचाया। दोनों अलग हैं।"

यह बयान एक अजीब तरह से बड़ा है। क्योंकि जब भी कोई भारतीय ऑलराउंडर अच्छा खेलता है, लोग युवराज के साथ तुलना करते हैं। लेकिन समंत ने एक ऐसा बयान किया जो सिर्फ एक कोच ही कर सकता है — एक ऐसा बयान जो एक खिलाड़ी की पहचान को उसके अपने रास्ते से जोड़ता है।

ट्रॉफी विवाद: जीत का बदशगुन

मैच के बाद जब भारतीय टीम जीत का जश्न मना रही थी, तो एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के एक अधिकारी ने ट्रॉफी को प्रस्तुति स्थल से हटा लिया — बिना किसी वजह के। भारतीय टीम ने ट्रॉफी के बिना जीत का जश्न मनाया।

बीसीसीआई के सचिव सैकिया ने कहा, "हम यह ट्रॉफी ACC के अध्यक्ष से नहीं लेना चाहते, क्योंकि वो पाकिस्तान के एक प्रमुख नेता हैं।" लेकिन ACC के अध्यक्ष मोहसिन नक्वी ने जवाब दिया कि वो ट्रॉफी देने को तैयार हैं — बस भारत को एक प्रतिनिधि भेजना होगा।

यह विवाद किसी खेल के बाहर का है। एक ऐसा विवाद जो दर्शाता है कि खेल और राजनीति कैसे एक साथ उलझ गए हैं। यह नहीं कि भारत ने जीत नहीं ली — बल्कि यह कि उनकी जीत को एक अज्ञात शक्ति ने छीनने की कोशिश की।

शिवम दूबे: एक अनकही कहानी

दूबे की यह यात्रा अजीब है। 2019 में डेब्यू के बाद, उन्होंने 39 टी20 मैच खेले, लेकिन उनमें से सिर्फ 27 में गेंदबाजी की। एशिया कप में उन्होंने यूएई के खिलाफ 3 विकेट लिए थे — सिर्फ 4 रन देकर। लेकिन यह फाइनल उनका तीसरा ऐसा मैच था जब उन्होंने अपने तीन ओवर पूरे किए।

उनकी बल्लेबाजी का अंदाज़ भी अलग है — न तो वो बड़े शॉट्स के लिए जाने जाते हैं, न ही वो रन बनाने के लिए जाते हैं। वो वहीं आते हैं जहां टीम को सबसे ज्यादा जरूरत होती है। जैसे इस मैच में — जब टीम 77 पर 4 विकेट पर थी, तो वो आए।

उनके लिए यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं है। यह एक निश्चय है — कि एक ऐसा खिलाड़ी, जिसकी शुरुआत एक छोटी सी अकादमी से हुई, और जिसने एक बार क्रिकेट छोड़ दिया, वो भी दुनिया के शीर्ष पर पहुंच सकता है।

अगला क्या?

अब भारत की टीम वर्ल्ड टी20 2026 के लिए तैयार होगी। शिवम दूबे के लिए यह अवसर एक नया चैलेंज है। क्या वो अब नियमित ऑलराउंडर बन जाएंगे? क्या वो हार्दिक की जगह ले सकते हैं? और क्या उनकी बॉलिंग को टीम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार इस्तेमाल करेगी?

एक बात तो पक्की है — अब कोई भी शिवम दूबे को बस एक "हार्दिक का रिप्लेसमेंट" नहीं कहेगा। वो अब अपनी पहचान बन चुके हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शिवम दूबे ने क्यों अपनी शुरुआत में क्रिकेट छोड़ दिया?

13 साल की उम्र में शिवम दूबे को लगा कि क्रिकेट उनके लिए नहीं है। उनके पिता राजेश दूबे ने उन्हें चंद्रकांत पांडित के कोचिंग क्लिनिक में भेजा था, लेकिन वहां की अत्यधिक दबाव वाली वातावरण ने उन्हें हतोत्साहित कर दिया। वो तीन साल तक खेले बिना रहे, फिर 17 साल की उम्र में उनके पिता ने उन्हें संजीवनी अकादमी ले आया — जहां उन्हें अपने आप को फिर से खोजने का मौका मिला।

युवराज सिंह और शिवम दूबे में क्या अंतर है?

युवराज एक बाएं हाथ के बल्लेबाज थे जो शॉट्स के लिए जाने जाते थे, जबकि दूबे एक दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं जो गेंदबाजी के लिए भी अपनी बॉलिंग के आधार पर खेलते हैं। युवराज की गेंदबाजी लेग स्पिन थी, दूबे की फास्ट-मीडियम है। कोच सतीश समंत के अनुसार, दूबे की गेंदें जमीन से बाउंस देती हैं, जबकि युवराज की गेंदें हवा में घूमती थीं।

हार्दिक पंड्या की चोट का भारतीय टीम पर क्या प्रभाव पड़ा?

हार्दिक की चोट ने टीम के बैलेंस को बिगाड़ दिया। वो टीम के सबसे अहम ऑलराउंडर थे — बल्लेबाजी में अंतिम ओवरों के लिए और गेंदबाजी में शुरुआती ओवरों के लिए। उनकी अनुपस्थिति में शिवम दूबे और रिंकू सिंह को अहम भूमिका निभानी पड़ी। दूबे ने बॉलिंग का बोझ उठाया, जबकि रिंकू ने बल्लेबाजी में तेजी लाई।

ट्रॉफी विवाद का क्या हुआ असर?

यह विवाद भारत-पाकिस्तान के खेल के राजनीतिक तनाव को दर्शाता है। भारत ने ट्रॉफी नहीं लेने का फैसला किया, लेकिन ACC ने ट्रॉफी वापस भेजने का वादा किया है। अभी तक ट्रॉफी अज्ञात स्थान पर है। यह एक ऐसा मामला है जिसमें खेल की जीत को राजनीति ने निशाना बना लिया।

शिवम दूबे के लिए अगला लक्ष्य क्या है?

अगला लक्ष्य वर्ल्ड टी20 2026 है। दूबे को अब टीम का नियमित ऑलराउंडर बनना होगा — न कि सिर्फ हार्दिक के लिए एक रिप्लेसमेंट। उन्हें अब बल्लेबाजी में और अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी, और गेंदबाजी में लगातार ओवर फेंकने की आदत डालनी होगी। अगर वो यह कर लेते हैं, तो वो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नया नाम बन जाएंगे।

क्या शिवम दूबे भारतीय टीम के लिए एक लंबे समय तक बन सकते हैं?

हां। उनकी बॉलिंग अभी भी अनुभवी नहीं है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की शैली और अहम दबाव में खेलने की क्षमता उन्हें लंबे समय तक टीम में रखने के लिए बहुत अच्छी है। उनकी उम्र 32 है, लेकिन उनकी फिटनेस और टेक्निक उन्हें अभी भी टीम के लिए एक अनमोल संपत्ति बनाती है। अगर वो अपनी गेंदबाजी को और अधिक सटीक बना लें, तो वो वर्ल्ड टी20 तक टीम में रह सकते हैं।

Chandni Mishra

Chandni Mishra

मैं एक भारतीय समाचार लेखिका हूँ। मुझे भारतीय दैनिक समाचार पर लेख लिखने का शौक है। मैं अपने घर पर रहकर काम करती हूँ और अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हूँ। शीर्ष समाचार और घटनाओं पर लिखते हुए मैं समाज को सूचित रखने में विश्वास रखती हूँ।