करवा चौथ – परम्परा, रीति‑रिवाज़ और आधुनिक समय की बातें

जब हम करवा चौथ, एक पारम्परिक हिंदू वैवाहिक त्यौहार है जिसमें विवाहित महिलाएँ सूर्यास्त के बाद चाँद को देख कर उपवास तोड़ती हैं. Also known as कारवा चौथ, it marks the marital bond and promises long life for the husband. इस त्यौहार को लेकर कई मिथक और रीतियाँ सामने आती हैं, इसलिए आगे के भाग में हम उन सभी पहलुओं को विस्तार से देखेंगे।

पहला मुख्य तत्त्व उपवास, पूरे दिन बिना पानी के रखी गई शारीरिक प्रतिबद्धता है जो सूर्यास्त तक चलती है है। उपवास सिर्फ भोजन रोकना नहीं, बल्कि मन को शांत रखना, सच्चाई से जुड़ना और पति के लिए सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करना भी है। महिलाएँ आमतौर पर दिन में हल्का फल, अंकुरित दालें और व्यंजनों से ऊर्जा लेती हैं, लेकिन कोई भी ठोस भोजन नहीं लेतीं। इस दौरान घर के बड़े बुजुर्गों से सत्कुछना और आध्यात्मिक गीत सुनना आम बात है। उपवास का मुख्य उद्देश्य धैर्य, समर्पण और स्वास्थ्य में सुधार लाना है।

उपवास का अंत तभी संभव है जब चंद्र दर्शन, चाँद को देख कर व्रत समाप्त करने की अंतिम प्रक्रिया है सफल हो। रात्रि में स्त्रियों को साफ़ आसमान में चाँद को देखना पड़ता है, अक्सर परिवार के पुरुष सदस्य उसकी पहचान में मदद करते हैं। चाँद के प्रथम श्लोक को देखना और फिर उसे लैंटो (मिठाई) के साथ प्रसाद में बदलना, यह संस्कार दीपावली‑सम्बन्धी मामलों की तरह ही महत्व रखता है। इस प्रक्रिया में पौराणिक कथा से जुड़ी कहानियाँ बताई जाती हैं, जिससे पारिवारिक बंधन और गहरा हो जाता है।

दूसरा प्रमुख समूह विवाहित महिलाएँ, जिनका यह त्यौहार विशेष रूप से समर्पित है, जो अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं है। उनका रिवाज़ न केवल व्यक्तिगत ध्येय है, बल्कि सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी एकत्रित होती है। महिलाएँ सुबह से ही सोलह-शाम तक तैयारियों में जुटी रहती हैं: घर को सजाना, सिंदूर, काजल, फूल, और फालूदा जैसी मिठाइयों की व्यवस्था करना। कई लोग एक-दूसरे के साथ कनेक्ट होते हैं, सजावटी पोशाकें पहने, और मेहमानों के साथ मिलकर व्रत कथा सुनाते हैं। यह समुदायिक ऊर्जा त्यौहार को जीवंत बनाती है।

परम्परागत पूजा सामान जैसे सिंदूर, काजल, फालूदा, तिल के लड्डू और स्नान रस भी इस उत्सव के अभिन्न भाग हैं। सिंदूर को माथे पर लगाना, पति की ओर बँटवाना और फिर सभी सदस्य मिलकर प्रसाद बाँटना, इस प्रकार के छोटे‑छोटे कार्य रीतियों को साकार बनाते हैं। ये वस्तुएँ केवल प्रतीक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता के साधन भी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यह सभी चीज़ें प्रेम, सुरक्षा और समृद्धि को प्रतिबिंबित करती हैं।

आजकल सामाजिक बदलाव और सुरक्षा चिंताएँ भी स्वरूप ले रही हैं। हाल ही में आलीगढ़ में करवा चौथ पर 12 दुल्हनों ने पति को बेहोश कर गहने चुराए जैसी खबरें सुनने को मिलती हैं। यह घटना दर्शाती है कि परम्पराएँ कभी‑कभी सामाजिक दुरुपयोग का मंच बन सकती हैं। इसलिए कई परिवार सुरक्षा उपाय अपनाते हैं, जैसे उपवास के दौरान पति को सुरक्षित स्थान पर रखना, और समारोह के बाद तुरंत घर पर लौटना। ये कदम परम्परा को स्वस्थ रूप में जारी रखने में मदद करते हैं।

इस पृष्ठ पर आप आगे कई लेख पाएँगे जो करवा चौथ के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेंगे—व्रत की विधि, पूजा के सामान, आधुनिक चुनौतियाँ और सामाजिक प्रभाव। चाहे आप पहली बार इस त्यौहार को मनाने वाले हों या पारम्परिक रीति‑रिवाज़ को बेहतर समझना चाहते हों, यहाँ के लेख आपको उपयोगी जानकारी देंगे। नीचे की सूची में प्रत्येक पोस्ट आपके सवालों के जवाब और व्यावहारिक टिप्स लेकर आएगी, इसलिए पढ़ते रहिए और अपने करवा चौथ को और खास बनाइए।

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