जब आप RBI गवर्नर को देखते हैं, तो यह भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते हैं, जो देश की मौद्रिक नीति, नोटबंदी, और वित्तीय नियामक ढांचे को निर्धारित करते हैं. इसे Reserve Bank of India Governor भी कहा जाता है, और उनका कार्यक्षेत्र सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारों से जुड़ा होता है। इस भूमिका में मौद्रिक नीति को तैयार करना, ब्याज दर तय करना, और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना शामिल है। ये चार घटक एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं – RBI गवर्नर आवश्यकता के अनुसार नीति बनाता है, नीति प्रभावित करती है आर्थिक वृद्धि को, और स्थिरता को बनाए रखती है।
पिछले महीने RBI गवर्नर ने रेपो दर को 6.50% पर स्थिर रखा, जिससे बाजार में ब्याज दर की स्थितियों को स्थिरता मिली। इस निर्णय का कारण महंगाई में धीरे-धीरे गिरावट और त्यौहारी खर्च में वृद्धि था। लक्ष्य‑उन्मुख नीति निर्माण में गवर्नर की टीम ने वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता दी, ताकि ऋण‑संभावना में अचानक गिरावट न हो। साथ ही, डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट को तेज करने का इशारा भी दिया गया, जिससे भुगतान प्रणाली को अधिक तेज़ और सुरक्षित बनाया जा सके।
जब RBI गवर्नर आवश्यकता महसूस करता है कि आर्थिक कोर में बदलाव आ रहा है, तो वह मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने के उपाय अपनाता है। यह उपाय अक्सर खुले बाजार ऑपरेशनों के माध्यम से किया जाता है, जहाँ बैंकों को सेकेंडरी मार्केट में प्रतिभूतियां खरीदी या बेची जाती हैं। इससे इन्फ्लेशन टार्गेट को सटीक रूप से ट्रैक किया जा सकता है।
गवर्नर के कई सार्वजनिक बयानों में यह स्पष्ट किया गया है कि मौद्रिक नीति को लचीला रखना चाहिए, ताकि वैश्विक अनिश्चितताओं—जैसे तेल की कीमतों में उतार‑चढ़ाव या अंतरराष्ट्रीय पूँजी प्रवाह—का शीघ्रता से सामना किया जा सके। इस लचीलापन का परिचय अक्सर क्रेडिट प्रॉक्सी के माध्यम से किया जाता है, जिससे बैंकों को सतर्क रहने की प्रेरणा मिलती है।
एक और महत्वपूर्ण पहलू है वित्तीय नियमन जिससे RBI गवर्नर सीधे जुड़ा होता है। नियमन में बैंकों की पूँजी पर्याप्तता, नॉन‑परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) की निगरानी, और नई प्रवर्तित वित्तीय तकनीकों (FinTech) की सुरक्षा शामिल है। इस क्षेत्र में गवर्नर की दिशा-निर्देश अक्सर ट्रेडिंग तरलता को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं? कई विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल RBI गवर्नर डिजिटल मुद्रा के व्यापक रोल‑आउट की घोषणा कर सकते हैं, जिससे नकद-रहित लेन‑देनों में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, यदि महंगाई फिर से तेज़ी से बढ़ती है, तो रेपो दर में अतिरिक्त 25 बेसिस पॉइंट की संभावनाएं बनी रहेंगी। इन संभावनाओं को समझने के लिए गवर्नर के पिछले भाषण और बँकिंग सेक्टर के आँकड़ों का गहन अध्ययन आवश्यक है।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, नीचे आप को RBI गवर्नर से जुड़ी नवीनतम खबरें, विश्लेषण और नीति‑निर्णयों की विस्तृत कवरेज मिलेगी। चाहे आप निवेशक हों, छात्र हों, या सिर्फ सामान्य पाठक—यह संग्रह आपके लिए स्पष्ट, ताज़ा और उपयोगी जानकारी लाता है।
पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव-2 के रूप में नियुक्त किया गया है। इस नई भूमिका में दास पीएमओ के कई महत्त्वपूर्ण कार्यों में शामिल होंगे। दास पहले RBI गवर्नर रह चुके हैं और उनकी सफलतम प्रबंधन क्षमता अब प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में मदद करेगी।
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