समलैंगिक जोड़े – अधिकार और सामाजिक पहलू

जब हम समलैंगिक जोड़े, एक ही लिंग के दो व्यक्तियों के बीच भावनात्मक व शारीरिक संबंध. इसे अक्सर समान-लिंगीय जोड़ी कहा जाता है, यह सामाजिक पहचान और कानूनी स्थिति दोनों में विशिष्ट भूमिका रखता है। भारत में इन रिश्तों की मान्यता कई सामाजिक व कानूनी कारकों से जुड़ी है, इसलिए इस टैग में हम समलैंगिक जोड़े से जुड़ी खबरें, विश्लेषण और बदलावों को कवर करेंगे।

एक प्रमुख इकाई एलजीबीटी अधिकार, समलैंगिक, लेस्बियन, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर लोगों के मौलिक मानव अधिकार है। ये अधिकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विवाह जैसे क्षेत्रों में समानता की माँग करते हैं। हाल के वर्षों में भारत में धारा 377 के उन्मूलन ने इन अधिकारों को कानूनी रूप दिया, जिससे कई समलैंगिक जोड़े को सामाजिक मान्यता मिलने लगी। लेकिन अभी भी कई जगह सामाजिक स्वीकृति, परिवारिक समर्थन और वैध विवाह प्रक्रिया में चुनौतियां मौजूद हैं।

भारत में कानूनी परिप्रेक्ष्य और भविष्य की दिशा

एक और अहम इकाई धारा 377, भारतीय दण्ड संहिता की वह धारा जो समलैंगिक संबंधों को आपराधिक बनाती थी है, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने हटाया। इस निर्णय ने समलैंगिक जोड़े को कानूनी सुरक्षा दी और कई सामाजिक प्रतिबंधों को तोड़ने का रास्ता खोला। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट, भारत का सर्वोच्च न्यायिक संस्थान जहाँ सामाजिक व संवैधानिक मुद्दों पर प्रमुख फैसले लिये जाते हैं ने अक्सर समानता और मानवाधिकारों की दिशा में नई राहें तय की हैं। इन फैसलों ने वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक स्थानों में समलैंगिक जोड़े की पहचान को सुरक्षित बनाया।

समलैंगिक जोड़े की वैधता के लिए समलैंगिक विवाह अभी एक प्रमुख चर्चा का विषय है। जबकि कुछ राज्य अपने घरेलू सहयोगी कानूनों के माध्यम से समान अधिकार प्रदान कर रहे हैं, पूर्ण वैध विवाह अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर नहीं आया। कई सामाजिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने इस दिशा में तेज़ी से काम करने की पुकार की है। इस टैग के अंतर्गत हम ऐसे पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे: कौन से राज्य पहले से ही साझेदारी कानून लागू कर चुके हैं, कौन से अदालत के निर्णय समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दिशा में हैं, और सामान्य जनता के मनोविज्ञान में कैसे बदलाव आ रहा है।

नीचे आप देखेंगे कि इन विषयों पर हमारे लेख कैसे गहराई से चर्चा करते हैं — चाहे वह धारा 377 के हटाने के कानूनी विश्लेषण हों, एलजीबीटी अधिकार संगठनों के अभियान हों, या समलैंगिक जोड़े के लिए सामाजिक समर्थन के वास्तविक उदाहरण हों। हमारी क्यूरेटेड सूची आपको वर्तमान समाचार, प्रेक्षण और व्यावहारिक टिप्स देती है, जिससे आप इस क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन को समझ सकेंगे और अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद को बेहतर बना सकेंगे। आगे पढ़ें और जानें कि भारत में समलैंगिक जोड़े किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

दक्षिण कोरिया की शीर्ष अदालत ने समलैंगिक जोड़ों के लिए राज्य स्वास्थ्य लाभ का अधिकार बरकरार रखा

दक्षिण कोरिया की सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के लिए राज्य स्वास्थ्य बीमा कवरेज का अधिकार सुनिश्चित किया है, जो देश में LGBTQ अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस फैसले के तहत समलैंगिक जोड़े अपने साथी के स्वास्थ्य कवरेज के लिए लाभार्थी के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं। यह मामला सो से-वो और किम-मिन नामक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर किया गया था।

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