इस्राइल ने यमन के रेड सी बंदरगाह शहर होदीदाह पर हवाई हमले किए हैं, जो हूदी समूह द्वारा हाल में किए गए आक्रमणों के जवाब में हुए हैं। यह हवाई हमले शनिवार को हुए, एक दिन बाद जब हूदी मिलिशिया ने तेल अवीव में एक ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हूदी संबद्ध अल मसिराह टीवी ने बताया कि इस्राइली हवाई हमले तेल भंडारण सुविधाओं और होदीदाह के एक पावर प्लांट को निशाना बनाकर किए गए, जिससे यहाँ नुकसान और मौतें हुई हैं।
इस्राइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि इस्राइल अपने सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने वालों से 'हिसाब बराबर' करेगा। हूदी समूह ने भी रेड सी के शिपिंग लेन को निशाना बनाकर इस्राइल पर दबाव डालने के लिए अभियान शुरू किया है ताकि गाजा पर हो रहे युद्ध को रोका जा सके।
यहां याद दिलाने की बात है कि हूदी समूह का यह पहला हमला नहीं है। उन्होंने छह माह पहले भी हवाई और समुद्री रास्तों से हमले किए थे, जिसका असर यमन के कई हिस्सों और उसके आसपास के इलाकों पर पड़ा था। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा हितों की सुरक्षा में इसे एक गम्भीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम भी रेड सी में हूदी आक्रमणों के जवाब में यमन में महीनों से हवाई हमले कर रहे हैं, हालांकि यह सैन्य अभियान हूदी समूह के हमलों को रोकने में विफल रहा है। हूदी समूह के हमलों ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाला है बल्कि इससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं में भी वृद्धि हुई है।
हाल ही में तेल अवीव में हुए ड्रोन हमले को इस्राइली सुरक्षा के लिए एक बड़ी गम्भीरता के रूप में देखा गया है, जिसके बाद इस्राइली सेना ने इसकी प्रतिकिया देने का वादा किया था। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने का भी निर्णय लिया है।
इस्राइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कड़ी चेतावनी दी है कि इस्राइल अपनी सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को कतई बख्शेगा नहीं। गैलेंट ने इस्राइल की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए यह भी कहा कि इस्राइल द्वारा की गई सभी प्रतिक्रियाएं उनकी सारी रणनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर ही की जा रही हैं। इसके साथ ही, इस्राइल ने यह भी साफ कर दिया है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार हैं।
हूदी समूह, जिन्होंने एक दिन पहले तेल अवीव में ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी, का कहना है कि उनका यह अभियान इस्राइल के गाजा पर हमले को समाप्त करने के लिए एक जरूरी कदम है। हूदी समूह के इस कदम को इस्राइल ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। हूदी समूह की इस तरह की गतिविधियों ने यमन और उसके आसपास के क्षेत्रों की स्थिरता को भी खतरे में डाल दिया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने यमन में हूदी समूह के खिलाफ महीनों से हवाई हमले जारी रखे हैं। रेड सी में हो रहे हूदी समूह के आक्रमणों की जवाबी कार्रवाई के लिए इन देशों ने यमन में अपने सैन्य अभियानों को जारी रखा हुआ है। हालांकि, यह अभियान हूदी हमलों को रोकने में अब तक सफल नहीं रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा इस मामले पर कई आपातकालीन बैठकें की जा चुकी हैं, जिनमें इस्राइल, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे प्रमुख देशों ने भाग लिया है। इन बैठकों में यमन की स्थिति और हूदी आक्रमणों को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर विचार किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर परिवर्तनशील मौजूदा स्थिति ने वैश्विक चिंताओं को बढ़ा दिया है। यमन में हूदी समूह के आक्रमणों के कारण विभिन्न देशों ने अपनी सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार करने का निर्णय लिया है।
यमन पहले से ही एक गंभीर मानवीय संकट के दौर से गुजर रहा है। युद्ध और हवाई हमलों ने यमन की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को ध्वस्त कर दिया है। यहां पर लाखों लोग भूखमरी और बिमारियों से त्रस्त हैं। इस संघर्ष ने यमन की जनता को एक अभूतपूर्व संकट की ओर ढकेल दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने शांति स्थापना की अपील की है ताकि यमन के नागरिकों को राहत मिल सके। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने मानवीय सहायता भेजने का भी भरोसा दिलाया है।
इन परिस्थितियों में, यमन के नागरिकों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। हवाई हमले और युद्ध के अन्य प्रभावों ने उन्हें एक संकट में धकेल दिया है, जहां से निकलना बहुत कठिन है। जरूरत इस बात की है कि सभी संबंधित पक्ष शांति और स्थायित्व के लिए मिलकर काम करें।