19 नवंबर, 2025 को भारत के 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे ₹2,000 की नई किस्त जमा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार नहीं आयोजित कर रहे, लेकिन कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार, 14 नवंबर को जारी आधिकारिक बयान में इसकी पुष्टि कर दी है। यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना's 21वीं किस्त होगी — जो अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक सहायता योजना बन चुकी है। अब तक, 20 किस्तों के जरिए सरकार ने ₹3.70 लाख करोड़ से अधिक की राशि किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर कर दी है।
यह योजना फरवरी 2019 में शुरू हुई थी, और आज यह केवल एक आय सहायता नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गई है। हर साल ₹6,000 — तीन बराबर किस्तों में — किसानों को उनकी खेती की लागत, बीज, उर्वरक और परिवार के दैनिक खर्चों के लिए मदद करता है। आखिरी, 20वीं किस्त 2 अगस्त, 2025 को वाराणसी से जारी की गई थी, जिसमें ₹20,500 करोड़ की राशि 9.7 करोड़ किसानों तक पहुँची। अब 21वीं किस्त के साथ यह संख्या 11.2 करोड़ किसान परिवारों तक पहुँच जाएगी।
लेकिन यहाँ एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब सरकार केवल पैसा भेजने में संलग्न नहीं है — वह अब उन किसानों को भी शामिल करने की कोशिश कर रही है जो अभी तक योजना से बाहर हैं। कृषि मंत्रालय ने अब गाँव-गाँव जाकर संतृप्ति जाँच (saturation verification) शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य क्या है? वो किसान जिनके जमीन के रिकॉर्ड अधूरे हैं, जिनका ई-केवाईसी (e-KYC) नहीं हुआ, या जिनका आधार और बैंक खाता मिल नहीं रहा। ऐसे किसानों की संख्या लगभग 1.2 करोड़ है। बहुत से निर्णय लेने वाले अधिकारी बताते हैं कि अक्सर ये तकनीकी खामियाँ उनकी आय को नहीं, बल्कि उनकी पहचान को खोने का कारण बन रही हैं।
पीएम-किसान योजना सिर्फ उन किसानों के लिए है जिनके पास जमीन का रिकॉर्ड है — और वह रिकॉर्ड 1 दिसंबर, 2020 तक का हो। लेकिन इसके बाहर कई समूह हैं: सरकारी नौकरी करने वाले, पीएसयू में 10 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आर्किटेक्ट जो पेशेवर बॉडी में रजिस्टर्ड हैं। ये सब योजना से बाहर हैं। यह नियम लगभग 70% किसानों के लिए लागू होता है, लेकिन इसके बाहर के लोगों को अक्सर भूल दिया जाता है।
सरकार ने 2025-26 के संघीय बजट में ₹60,000 करोड़ का आवंटन किया है। यह सिर्फ एक बजट नहीं, बल्कि एक निश्चय है। इसका मतलब है कि अगले 12 महीने में भी यह योजना बिना किसी रुकावट के चलती रहेगी। एक 2019 का अध्ययन, जिसे राष्ट्रीय आवेदन आर्थिक अनुसंधान परिषद (NCAER) ने किया था, बताता है कि इस योजना के तहत प्राप्त धन का 72% ग्रामीण बाजारों में खर्च हो रहा है — जिससे छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और परिवहन वाहन चालकों को भी लाभ हुआ।
अब कृषि मंत्रालय एक व्यापक किसान रजिस्ट्री बना रहा है। यह रजिस्ट्री केवल बैंक खातों को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि बीज, उर्वरक, बीमा और बाजार जानकारी के साथ एकीकृत होगी। इसके लिए �ाष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) का तकनीकी समर्थन लिया गया है। एक किसान अब सिर्फ अपना पैसा देख नहीं सकता — वह अपनी फसल के लिए बेहतर दाम भी ढूंढ सकता है। यह बदलाव छोटे किसानों के लिए एक नई उम्मीद है।
19 नवंबर के बाद, मंत्रालय अगले तीन महीनों में देश के सभी जिलों में विशेष अभियान चलाएगा। उद्देश्य? हर योग्य किसान को योजना में शामिल करना। अगली किस्त, जो दिसंबर-मार्च 2026 के बीच जारी होगी, उसके लिए अब तक का कोई अनुमान नहीं है — लेकिन एक बात स्पष्ट है: अब सरकार का लक्ष्य सिर्फ पैसा भेजना नहीं, बल्कि किसी को छोड़े बिना सबको शामिल करना है।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे गाँव में रहने वाली राधा देवी, 58, जिनके पास 2 एकड़ जमीन है, कहती हैं: "हर तीन महीने में जब ₹2,000 आता है, तो मैं अपने बेटे के लिए बीज खरीदती हूँ, बच्चों के लिए दवाई, और कभी-कभी बस घर में दूध और अंडे भी ले आती हूँ।" उनके गाँव में 32 परिवारों में से 29 अभी तक योजना के तहत आए हैं। लेकिन तीन अभी भी बाहर हैं — क्योंकि उनके आधार और बैंक खाते के बीच एक छोटी सी गलती है। अब यही गलती उनकी आय को रोक रही है।
21वीं किस्त 19 नवंबर, 2025 को सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा होगी। यह राशि प्रत्येक योग्य परिवार के लिए ₹2,000 होगी। फंड ट्रांसफर का समय अभी तक घोषित नहीं किया गया है, लेकिन आमतौर पर यह दोपहर 2 बजे से 5 बजे के बीच होता है। आप pmkisan.gov.in पर अपने खाते की स्थिति चेक कर सकते हैं।
अगर आपका आधार और बैंक खाता मेल नहीं खा रहा है, तो आपको किस्त नहीं मिलेगी। इसके लिए आपको अपने बैंक शाखा या निकटतम किसान सेवा केंद्र पर जाकर e-KYC अपडेट करना होगा। कृषि मंत्रालय अब गाँव-गाँव जाकर इस प्रक्रिया में मदद कर रहा है — बस आप अपना आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स लेकर जाएँ।
हाँ, बहुत ज्यादा। NCAER के अध्ययन के अनुसार, योजना के तहत प्राप्त धन का 72% ग्रामीण बाजारों में खर्च हो रहा है — जिससे छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और ट्रक चालकों को भी लाभ हुआ। उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में यह प्रभाव सबसे ज्यादा देखा गया है।
नहीं। अगर कोई किसान सरकारी नौकरी या पीएसयू में काम करता है और उसकी वार्षिक आय ₹10 लाख या उससे अधिक है, तो वह योजना से बाहर है। यह नियम उन लोगों के लिए है जिनकी आय अलग स्रोत से आ रही है, भले ही उनके पास जमीन हो।
अगली किस्त दिसंबर 2025 से मार्च 2026 के बीच जारी की जाएगी। इसके लिए अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कृषि मंत्रालय का लक्ष्य है कि इससे पहले सभी योग्य किसानों को रजिस्टर कर लिया जाए। एक नई डिजिटल रजिस्ट्री भी जल्द लॉन्च होगी, जिससे किसान बीज, बीमा और बाजार की जानकारी भी पा सकेंगे।
हाँ, और अधिक लाभदायक। इस योजना ने ग्रामीण उपभोग में 28% की बढ़ोतरी की है। उत्तर प्रदेश में एक अध्ययन ने दिखाया कि जिन किसानों को यह राशि मिली, उन्होंने अपनी खेती पर अधिक निवेश किया — बीज, उर्वरक और सिंचाई पर। यह सिर्फ एक ट्रांसफर नहीं, बल्कि एक अर्थव्यवस्था का निर्माण है।