नीट-यूजी परीक्षा जैसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा में, हर वर्ष लाखों छात्र अपने चिकित्सीय करियर को संवारने की उम्मीद में शामिल होते हैं। परंतु, इस बार जो हुआ उसने छात्रों और उनके माता-पिता की उम्मीदों को धक्का पहुँचाया है। 5 मई, 2024 को हुई नीट-यूजी परीक्षा में कथित अनियमितताओं के बाद 23 जून, 2024 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा एफआईआर दर्ज की गई।
सीबीआई ने यह कदम तब उठाया जब केंद्र ने छात्रों की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। विभिन्न शहरों में छात्रों के व्यापक विरोध के बाद यह निर्णय लिया गया। वे परीक्षा में पेपर लीक, नकल, और प्रतिरूपण जैसी अनियमितताओं की जांच की मांग कर रहे थे।
नीट-यूजी परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा संचालित की जाती है। एनटीए पर इस बार पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। 2.4 मिलियन से अधिक उम्मीदवारों ने इस परीक्षा में भाग लिया था, और जिस तरह से 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए, इसने परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए।
शिक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षा को पुन: सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाते हुए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति का नेतृत्व पूर्व ISRO अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन कर रहें हैं। समिति का लक्ष्य डेटा सुरक्षा में सुधार, परीक्षा तंत्र में सुधार, और एनटीए की कार्यप्रणाली में सुधार प्रस्तावित करना है।
यह समिति अगले दो महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। छात्रों और उनके अभिभावकों को उम्मीद है कि इस समिति की सिफारिशें परीक्षाओं को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएंगी।
सीबीआई के इस मामले में शामिल होने का मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। छात्रों का भविष्य दांव पर है और सीबीआई की सटीक और निष्पक्ष जांच से ही इसकी विश्वसनीयता बहाल हो सकेगी।
ऐसे छात्रों के लिए, जिन्होंने महीनों मेहनत कर इस परीक्षा की तैयारी की थी, परीक्षा में अनियमितताओं के ये आरोप एक बड़ी चिंता का विषय हैं। वे यह चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो सकें।
समाज के विभिन्न वर्गों ने भी इस घटना पर अपनी निराशा व्यक्त की है। लोगों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से शिक्षा प्रणाली की साख पर बुरा असर पड़ता है और मेहनती छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है।
आगामी सिफारिशें और सीबीआई की जांच इस मुद्दे को कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता से संभालती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। वर्तमान में, छात्रों और उनके परिवारों की निगाहें शिक्षा मंत्रालय और सीबीआई पर टिकी हुई हैं।
समिति की सिफारिशों और सीबीआई की जांच से निकले परिणाम ही यह तया करेंगे कि भविष्य में नीट-यूजी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता लाई जा सकेगी।