जब आप ब्लू सुपरमून, एक दुर्लभ चंद्रमा की घटना है जिसमें पूर्णिमा अधिक बड़ी और नीले रंग की दिखती है. Also known as नीला सुपरमून, it आकाशीय विज्ञान (astronomy) में विशेष महत्व रखता है. एक और प्रमुख शब्द है सुपरमून, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीकी बिंदु (पेरिजी) पर होता है तो उसका आकार बड़ा दिखता है. यह खगोलीय घटना, आकाश में घटित होने वाला कोई भी प्राकृतिक परिवर्तन फ़ोटोग्राफी के शौकीनों को आकर्षित करता है, जैसे फ़ोटोग्राफी, चंद्रमा की तस्वीरें लेने की कला और तकनीक के प्रेमी।
ब्लू सुपरमून का मूल कारण दो चीज़ें मिलकर बनती हैं: पहला, चंद्रमा का पृथ्वी के सबसे नज़दीकी बिंदु पर होना, जिससे उसका आकार बड़ा और चमक बढ़ जाती है; दूसरा, वायुमंडल में कम नमी और धूल के कारण प्रकाश का बिखराव कम होता है, जिससे चंद्रमा नीला दिखता है। सरल शब्दों में कहें तो, (ब्लू सुपरमून) पृथ्वी के नजदीक स्थित चंद्रमा और साफ़ वायुमंडलीय स्थितियों से बनता है। यही कारण है कि हर 8‑12 वर्षों में ही ये घटना देखी जाती है, इसलिए इसे देखना अक्सर खास अवसर माना जाता है।
अगला ब्लू सुपरमून 2025 के अंत में अपेक्षित है, लेकिन सटीक तिथि स्थानीय समय और मौसम पर निर्भर करती है। सामान्यतः, जब पूरी चंद्रमा उत्तर-पूर्वी क्षितिज से उगता है, तब उसे देखना आसान रहता है। इस समय टाइड (ज्वार) भी प्रभावित होती है; बहुत बड़ी लहरें समुद्र तटों पर अधिक ऊँची उठती हैं, जिससे समुद्र किनारे से फ़ोटोग्राफी में अतिरिक्त नाटकीय प्रभाव मिलता है। इसलिए, यदि आप किसी समुद्री शहर में हैं, तो समुद्र तट पर जाकर ब्लू सुपरमून का दृश्य कैप्चर कर सकते हैं।
कई लोग इस मौके पर विज्ञान क्लब या खगोल विज्ञान कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। इन कार्यक्रमों में अक्सर दुरबीन, टेलीस्कोप और मोबाइल ऐप्स का उपयोग करके चंद्रमा के सतह के क्रेटर और समुद्री-तट के विवरण देखे जाते हैं। इस दौरान विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्लू सुपरमून कैसे ल्यूमिनेंस (प्रकाशता) में बदलाव लाता है, और किस तरह की कैमरा सेटिंग्स सबसे बेहतर परिणाम देती हैं। यह जानकारी उन लोगों के लिए उपयोगी है जो सिर्फ देखना नहीं, बल्कि रिकॉर्ड भी करना चाहते हैं।
फ़ोटोग्राफी के लिहाज़ से ब्लू सुपरमून का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक ही शॉट में तीन प्रमुख तत्व मिलते हैं: बड़ा आकार, नीला रंग और चमकीली रोशनी। इनको सफलतापूर्वक पाकर आप सोशल मीडिया पर शानदार प्रतिक्रिया पा सकते हैं। पहला कदम है ट्राइपॉड सेट करना, फिर फोकस को अनंत (∞) पर रखना ताकि दूर की दूरी पर चंद्रमा साफ़ रहे। ISO को 800‑1600 के बीच रखें, एपरचर को f/4‑f/5.6 रखें और शटर स्पीड को 1/125 सेकंड या उससे तेज़ रखें ताकि चंद्रमा की गति से ब्लर न हो। अगर आपके पास रॉ फ़ाइल में शूट करने की सुविधा है, तो बाद में पोस्ट‑प्रोसेसिंग में रंग संतुलन को और भी नीला बना सकते हैं।
ब्लू सुपरमून के विज्ञान से जुड़ी एक रोचक बात यह है कि यह टाइड पर असर डालता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर होता है और उसके साथ यह नीला दिखता है, तो ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) का प्रभाव अधिक होता है। इसका परिणाम समुद्र के किनारों पर उच्चतम ज्वार और सबसे 낮은 ज्वार (स्प्रिंग टाइड) के रूप में दिखता है। नदियों के किनारे या जलाशयों में रहने वाले लोग अक्सर इन बदलावों को नोटिस करते हैं, इसलिए अगर आप इस समय पानी के स्तर में बदलाव देख रहे हैं, तो आप एक प्राकृतिक विज्ञान प्रयोग देख रहे हैं।
संस्कृति में भी ब्लू सुपरमून का अपना महत्व है। कई प्राचीन सभ्यताओं ने चंद्रमा को समय की गणना, कृषि और धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा था। भारत में कुछ क्षेत्रों में पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा और झील में डुबकी लगाना परम्परा है; जब वह पूर्णिमा नीली दिखे, तो इसे विशेष शुभ संकेत माना जाता है। आज के युवा इन परम्पराओं को सोशल मीडिया 'स्टोरी' या 'रिलेज़' के रूप में साझा करते हैं, जिससे इस घटना का सांस्कृतिक प्रभाव भी बढ़ता है।
आप इस टैग में नीचे दी गई कहानियों, खबरों और टिप्स से पता लगाएंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों में ब्लू सुपरमून को समझा और उपयोग किया गया है। चाहे आप एक विज्ञान प्रेमी हों, एक फ़ोटोग्राफ़र हों या सिर्फ एक उत्सुक दर्शक—यहाँ आपको वह सब मिलेगा जो आपके अगले ब्लू सुपरमून अनुभव को और भी यादगार बना देगा।
सोमवार, 19 अगस्त, 2024 को अद्वितीय खगोलीय घटना ब्लू सुपरमून का दीदार किया जा सकेगा। यह घटना इसलिए खास होती है क्योंकि महीने में दो पूर्णिमा होती हैं और इसमें से एक सुपरमून होती है। अगली ब्लू सुपरमून जनवरी 2037 में दिखाई देगी। यह खगोलीय घटना लोगों को रात के आकाश की सुंदरता का आनंद लेने का बेहतरीन मौका प्रदान करती है।
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