जब हम मानसून, जून से सितंबर तक भारत में प्रमुख रूप से बरसने वाली बारिश. Also known as मॉनसून, it shapes agriculture, water resources, and daily life across the subcontinent.
इस समय अवधि को मानसून कहा जाता है क्योंकि यह लगातार वर्षा ( वर्षा, बादलों से गिरने वाला जल. It determines crop sowing schedules, fills reservoirs, and even decides travel plans. जब वर्षा की मात्रा औसत से ऊपर जाती है, तो किसान खुश होते हैं, लेकिन शहरों में जल‑जमाव का जोखिम बढ़ता है. इसलिए, वर्षा की मात्रा, वितरण और अवधि को समझना हर साल जरूरी बन जाता है.
मानसून के दौरान कभी‑कभी सायको‑लॉजिकल कारकों से अधिक तीव्र घटनाएँ भी सामने आती हैं. उदाहरण के तौर पर सायक्लोन, ऊष्णकटिबंधीय चक्रवायु जो तेज़ हवाओं और भारी बारिश लाता है. सितंबर 2025 में सायक्लोन शाक्ती ने भारतीय शहरों में बवंडर बारिश को तीव्र किया, जिससे कई क्षेत्रों में 60% तक वर्षा संभावना थी. सायक्लोन का ट्रैक, वायुगतिकीय शक्ति, और उसका दबाव पैरामीटर मानसून की सामान्य पैटर्न को बदल सकता है, जिससे आपदा प्रबंधन की जरूरत बढ़ जाती है.
सायक्लोन के साथ जुड़ी एक और महत्वपूर्ण घटना है बवंडर बारिश. इसे बवंडर बारिश, अचानक और तीव्र वर्षा के साथ तेज़ हवाओं का मिलन कहा जाता है. बवंडर बारिश के दौरान आयत्मिक दबाव गिरता है, हवा की गति 70 km/h तक पहुँच सकती है, और पानी एक ही घंटे में कई सेंटीमीटर गिरता है. ऐसी स्थिति में निचले इलाकों में जल‑जमाव और बाढ़ का खतरा बहुत बढ़ जाता है, इसलिए स्थानीय प्रशासन अलर्ट जारी करता है और आपातकालीन राहत कार्य चलाता है.
इन सभी घटनाओं को समझने और भविष्यवाणी करने में मौसम पूर्वानुमान, वायुमंडलीय डेटा और मॉडलिंग के आधार पर भविष्य की स्थितियों का अनुमान. It combines satellite imagery, radar data, and computer simulations to predict rainfall intensity, cyclone tracks, and possible बवंडर बारिश zones. सटीक पूर्वानुमान किसानों को बीज बोने का सही समय बताता है, जबकि नगरपालिकाओं को बाढ़‑प्रबंधन की तैयारी करने में मदद करता है. Recent upgrades in forecasting models have reduced prediction errors by nearly 15%, making real‑time alerts more reliable.
इन पाँच मुख्य घटकों – मानसून, वर्षा, सायक्लोन, बवंडर बारिश, और मौसम पूर्वानुमान – के बीच जटिल परस्पर क्रिया हमारे देश के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है. अब आप नीचे आने वाले लेखों में देखेंगे कि कैसे ये तत्व प्रतिदिन बदलते हैं, कौन‑से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, और आप अपने दैनिक योजना में इन जानकारियों को कैसे उपयोग में ला सकते हैं. आगे की रीडिंग आपको विस्तृत रिपोर्ट, रीयल‑टाइम अपडेट, और विशेषज्ञों की राय देगी, जिससे आप मौसम की हर बारीकी से अवगत रह सकेंगे.
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से व्यापक तबाही हुई है। शिमला के रामपुर क्षेत्र में 20 लोग लापता हैं, जबकि कुल्लू और मंडी जिलों में बाढ़ का कहर बरपा है। भारतीय मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों में और बारिश की भविष्यवाणी की है। राहत अभियान जारी हैं, और प्रधानमंत्री स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
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