जब हम सुप्रीम कोर्ट, देश का सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण है, जो संवैधानिक व्याख्या, न्यायिक समीक्षा और अंतिम अपील का स्रोत है. Also known as उच्चतम न्यायालय, it कानून की संवैधता की जाँच करके लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाता है। साथ ही संविधान, भारत का मूल कानून है, जो नागरिक अधिकार, केंद्र‑राज्य अधिकार और संस्थागत संरचना निर्धारित करता है से गहरा संबंध है। वही कानूनी प्रक्रिया, फ़ाइलिंग, सुनवाई, सुनवाई के बाद फ़ैसलो की कार्यविधि को दर्शाती है के नियम इस अदालत में लागू होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट संविधान को मूल आधार मानते हुए न्यायिक समीक्षा (judicial review) करता है – यानी वह देखता है कि कौन‑सै कानून संविधान के अनुरूप है। यह प्रक्रिया हाई कोर्ट (High Court) के फैसलों को भी प्रभावित करती है, जब उच्च न्यायालयों के निर्णयों में कोई संवैधानिक त्रुटि दिखाई देती है तो सुप्रीम कोर्ट को अपील मिलती है। इस प्रकार, न्यायिक समीक्षा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून की संवैधता की जांच प्रक्रिया है सीधे सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी होती है, और यह लोकतांत्रिक नियंत्रण का महत्वपूर्ण स्तम्भ है।
जब कोई बड़ा सामाजिक या आर्थिक मुद्दा उठता है, जैसे कि चुनावी सुधार, पर्यावरणीय नियम या खेल प्रशासन से जुड़ी विवाद, तो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अक्सर राष्ट्रीय नीतियों को दिशा देती है। उदाहरण के लिये, खेल क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए नियम बनाते समय न्यायालय के निर्णय करियर‑सुरक्षित नीति निर्धारित कर सकते हैं। इसी तरह, वित्तीय योजना या विदेशी निवेश से सम्बंधित मामलों में न्यायालय का रुख निवेशकों के लिए स्पष्टता लाता है। इन सब में राजनीति, आर्थिक नीति और समाजिक न्याय के पहलू अंतर्निहित होते हैं, जो इस पेज पर दिखने वाले कई लेखों में परिलक्षित होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख केसों में अक्सर दो मुख्य प्रकार के प्रश्न उठते हैं: पहला, क्या कोई कानून मौजूदा संविधान के विरुद्ध है? दूसरा, क्या किसी सरकारी कार्रवाई ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है? ये दोनों प्रश्न संविधानिक अधिकार, जैसे मौलिक अधिकार, न्यायसंगत उपचार और समानता का अधिकार से जुड़े होते हैं। जब अदालत इन प्रश्नों का उत्तर देती है, तो उसके फैसले का असर न केवल कानूनी जगत पर लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी पड़ता है।
इसलिए इस टैग पेज पर आपको सुप्रीम कोर्ट से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं की विस्तृत कवरेज मिलेगी – चाहे वह हालिया बैंकरिंग नियमों का पुन:निर्धारण हो, या क्रिकेट बोर्ड में प्रबंधन विवादों से जुड़ी न्यायिक जाँच। प्रत्येक लेख में हम यह समझाने की कोशिश करते हैं कि कोर्ट का निर्णय क्या मायने रखता है, कौन‑से कानूनी सिद्धांत लागू होते हैं और आम जनता को इससे क्या लाभ या असर हो सकता है। ये जानकारी आपको जटिल कानूनी बारीकियों को आसान भाषा में समझने में मदद करेगी।
अब आप नीचे दी गई सूची में उन सभी लेखों को पढ़ सकते हैं, जिनमें कोर्ट के निर्णय, प्रमुख केस स्टडी, और वर्तमान में चल रहे हाई‑प्रोफ़ाइल मुकदमे शामिल हैं। यह संग्रह आपके लिए एक पूरी तरह से गठित शैक्षिक संसाधन है, जहाँ हर लेख एक नया दृष्टिकोण पेश करता है। आगे बढ़ते हुए, देखें कि कैसे सुप्रीम कोर्ट भारत की लोकतांत्रिक संरचना को आकार देता है और आपके जीवन से जुड़ी कानूनी चुनौतियों को सुलझाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत के 7 जजों की पीठ ने AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने का निर्णय किया है, जो 1967 के अज़ीज़ बाशा मामले में पूर्व के फैसले को पलटता है। पिछले फैसले में कहा गया था कि AMU अल्पसंख्यक दर्जा नहीं प्राप्त कर सकता क्योंकि इसे अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित नहीं किया गया था।
और देखेंदक्षिण कोरिया की सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के लिए राज्य स्वास्थ्य बीमा कवरेज का अधिकार सुनिश्चित किया है, जो देश में LGBTQ अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस फैसले के तहत समलैंगिक जोड़े अपने साथी के स्वास्थ्य कवरेज के लिए लाभार्थी के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं। यह मामला सो से-वो और किम-मिन नामक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर किया गया था।
और देखेंसुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2024 के ग्रेस मार्क्स विवाद पर सुनवाई शुरू की। न्यूरल टेस्टिंग एजेंसी और केंद्र पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक में शामिल हैं। कोर्ट का फैसला मेडिकल परीक्षा और छात्रों के भविष्य पर बड़ा असर डाल सकता है। सुनवाई जारी है और अपडेट्स की प्रतीक्षा की जा रही है।
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