तुंगभद्रा डैम – महत्व और पहलू

जब हम तुंगभद्रा डैम, कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी पर स्थित एक प्रमुख जलविद्युत और जलसंचयन संरचना, Tungabhadra Reservoir की बात करते हैं, तो सबसे पहले इसके दो मुख्य घटक सामने आते हैं: तुंगभद्रा नदी, हाइदराबाद से गुजरती बड़ी नदी, जो डैम को पाणी देती है और कर्नाटक, दक्षिणी भारत का एक राज्य, जहाँ यह डैम जलसंकट‑समाधान के लिए बनाया गया
यह डैम 1953 में पूर्ण हुआ, 30 टन क्षमता के साथ साल भर 2,600 MW बिजली उत्पन्न करता है। इसके दो मुख्य कार्य हैं: जल संग्रहण और जलविद्युत उत्पादन। जल संग्रहण के कारण कर्नाटक के कई जिलों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता है, जबकि जलविद्युत से राज्य की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरित होता है। तुंगभद्रा डैम का अर्थव्यवस्थीय प्रभाव भी गहरा है—जैसे कि निर्मित जलाशय के किनारे पर्यटन की नई संभावनाएँ और स्थानीय व्यवसायों में रोजगार वृद्धि।तुंगभद्रा डैम ने इन सब पहलुओं को एक साथ जोड़ा है, जिससे यह न केवल एक तकनीकी संरचना बल्कि सामाजिक‑आर्थिक विकास का केंद्र बन गया है।

मुख्य पहलू और तकनीकी विवरण

डैम की प्रमुख विशेषताएँ इसकी ऊँचाई, लंबाई और दोनों ओर के गेट्स में निहित हैं। कुल लंबाई 2,585 मीटर और ऊँचाई 41 मीटर है, जिससे यह दक्षिण भारत के बड़े डैमों में गिना जाता है। जल आवासीय क्षमता 4.5 अरब क्यूबिक मीटर है, जो वर्षा‑संकट के समय में बाढ़ नियंत्रण की मदद करता है। जलविद्युत संयंत्र में दो टर्बाइन और जनरेटर सेट हैं, जो दो चरण में काम करते हैं—पहला चरण जल का प्राकृतिक प्रवाह उपयोग करता है, दूसरा चरण जल की ऊर्जा को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदलता है। निरंतर रखरखाव और सर्दियों में जल स्तर नियंत्रण के कारण यह डैम साल भर विश्वसनीय ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा, जलशोधन इकाई भी स्थापित है, जिससे आसपास के गांवों को साफ पानी मिलता है। इस सभी प्रबंधित प्रणाली ने कर्नाटक को जल‑संकट से बाहर निकाला और ऊर्जा‑बिल को घटाया।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से तुंगभद्रा डैम ने दो तरह के प्रभाव डाले हैं। एक ओर, जलाशय के बनने से वन्यजीवों के आवास में बदलाव आया, लेकिन सरकार ने नए वन्यजीव अभयारण्य और मछली प्रजनन केंद्र स्थापित करके इस हानि को कम करने की कोशिश की। दूसरी ओर, डैम के नीचे बहने वाले जल में सड़न‑रहित स्लेज जमा होता है, जिससे जल गुणवत्ता पर असर पड़ता है; इसे नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तहत नियमित परीक्षण किए जाते हैं। इस तरह के प्रबंधन ने दिखाया कि जल संसाधन विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन संभव है।

इन सभी तथ्यों को देखे तो स्पष्ट है कि तुंगभद्रा डैम सिर्फ एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि कर्नाटक की जल‑नीति, ऊर्जा‑मात्रा और सामाजिक‑आर्थिक विकास का अभिन्न हिस्सा है। नीचे प्रस्तुत लेखों में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न पहलुओं—जैसे जलविद्युत, सिंचाई, पर्यावरण, और पर्यटन—को इस डैम ने प्रभावित किया है, और किन चुनौतियों का सामना अभी भी जारी है। यही कारण है कि इस टैग के तहत एकत्रित समाचार आपको तुंगभद्रा डैम की पूरी तस्वीर समझने में मदद करेंगे, चाहे आप विद्यार्थी हों, योजनाकार हों या सिर्फ जिज्ञासु पाठक।

तुंगभद्रा डैम का गेट बह जाने से कर्नूल जिला कलेक्टर ने जारी किया अलर्ट

तूंगभद्रा डैम के 19वें गेट के बह जाने की घटना के बाद कर्नूल जिला कलेक्टर ने अलर्ट जारी किया है। इस घटना के बाद नदी में भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। तुंगभद्रा नदी बोर्ड ने नदी किनारे रहने वाले निवासियों को सावधान रहने की चेतावनी दी है।

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