50मी राइफल – भारत में निशानेबाजी का प्रमुख आयाम

जब बात 50मी राइफल की हो, तो इसका अर्थ है वह विशेष हथियार जो 50 मीटर की दूरी पर लक्ष्य को सटीकता से मारता है। यह राइफल एक हाई‑परफॉर्मेंस .22 कैलिबर की राइफल होती है, जिसमें अत्यधिक स्थिरता और न्यूनतम रीकॉइल होता है. अक्सर इसे हाफ‑पावर्ड राइफल कहा जाता है। यह उपकरण निशानेबाजियों के लिए मूलभूत है और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मानदंड स्थापित करता है।

अब बात करते हैं शूटिंग शौकीनों की, यानी वे शूटर जो इस राइफल को अपने हथियार की तरह अपनाते हैं। इन शूटरों को भौतिक विज्ञान, मनोवैज्ञानिक दृढ़ता और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। उनका दैनिक प्रशिक्षण में एरोज़ीरोमिक पोजिशन, श्वास नियंत्रण और लक्ष्य पर फोकस शामिल होता है. भारत में कई अकादमी, जैसे कि नई दिल्ली का नेशनल शूटर ट्रेनिंग सेंटर, इन शूटरों को उन्नत सुविधाएँ प्रदान करता है।

ओलंपिक में 50मी राइफल की भूमिका

जब ओलंपिक शूटिंग की बात आती है, तो 50मी राइफल हमेशा मुख्य आकर्षण रहता है। यह इवेंट ट्रायल राउंड और फाइनल दोनों में विभिन्न शूटिंग स्थितियों का परीक्षण करता है, जिसमें अलग‑अलग दूरी और लक्ष्य आकार शामिल होते हैं. भारत ने पिछले कुछ ओलंपिक में इस एवनमेंट में धातु पदक जीतने के लिए बड़ी मेहनत की है, विशेषकर 2020 टोक्यो और 2024 पेरिस में।

एक और महत्वपूर्ण तत्व है लक्ष्य प्रकार। 50मी राइफल में इस्राइल का 10‑रिंग लक्ष्य, या फेडरेटेड इंटरनैशनल टार्गेट एजेंसी (FITAR) द्वारा मान्य लक्ष्य उपयोग किया जाता है। इन लक्ष्यों की डिज़ाइन कैंप में अलग‑अलग बैंड से बनी होती है, जिससे शूटर को विभिन्न दूरी पर विभिन्न आकार के गोलों को हिट करना पड़ता है। जब शूटर इन लक्ष्यों को सटीकता से मारता है, तो उनका स्कोर सीधे उसकी मेधाविता को दर्शाता है।

अब हम बात करते हैं 50मी राइफल के तकनीकी पहलू की। इस राइफल में बारोलीस कैलिबर, फाइन‑ट्यून पॉप्टिक साईट, और एर्गोनोमिक ग्रिप उपयोग होते हैं। इनका सही उपयोग शूटर को 0.1 रैडियन की त्रुटि तक सीमित रखता है। भारत में कई गन मैन्युफैक्चरर, जैसे कि बफेलो वाले, इस तरह के उपकरण बना रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं।

प्रशिक्षण के दृष्टिकोण से, सिम्युलेटर का उपयोग बढ़ रहा है। इन सिम्युलेटर में VR (वर्चुअल रिएलिटी) तकनीक से शूटर को वास्तविक इंटीरियर और बाहरी स्थितियों का अनुभव मिलता है। भारत की प्रमुख सिपाही अकादमी ने 2023 में अपने प्रशिक्षण में इस तकनीक को शामिल किया, जिससे शूटरों की गति और सटीकता में 15% सुधार देखा गया।

एक और रोचक पहलू है निकटतम प्रतियोगिताएँ। 2025 में भारत में कई राष्ट्रीय शूटर चैंपियनशिप आयोजित होने वाली हैं, जिनमें 50मी राइफल इवेंट भी शामिल रहेगा। इसके अलावा, एशिया गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी इस राइफल की प्रमुखता रहेगी। इन प्रतियोगिताओं की तैयारी में शूटर अक्सर प्रशिक्षण शिविर, पोषण योजना और मानसिक कोचिंग जैसी सुविधाएँ अपनाते हैं.

शूटिंग के फैन इस खेल को क्यों पसंद करते हैं? क्योंकि इसका रोमांस तकनीकी और मनोवैज्ञानिक दोनों पहलुओं में है। जब शूटर लक्ष्य के सामने एक सांस लेता है, और तुरंत ट्रिगर दबाता है, तो एक सेकंड में कई शारीरिक तंत्र काम करते हैं। यह एक तीव्र, लेकिन शांत अनुभव देता है, जो खेल के प्रशंसकों को बार-बार इस ओर आकर्षित करता है।

यदि आप इस क्षेत्र में नए हैं और 50मी राइफल सीखना चाहते हैं, तो सबसे पहला कदम है एक प्रमाणित कोच से जुड़ना। भारतीय शॉटिंग फेडरेशन (ISSF) के द्वारा सूचीबद्ध कोचिंग सेंटर्स में अक्सर बुनियादी वॉल्यूम, रेंज, और बाइंडिंग अभ्यास होते हैं। साथ ही, एक अच्छा प्रूफ़िंग गन और री-लॉडिंग उपकरण का भी होना ज़रूरी है।

संक्षेप में, 50मी राइफल न सिर्फ़ एक उपकरण है, बल्कि यह एक पूरी इकोसिस्टम को समर्थन देता है – तकनीक, प्रशिक्षण, प्रतियोगिता और मानवीय दृढ़ता। इस पृष्ठ पर आप इस विषय से जुड़ी कई ख़बरें, रैंकिंग, टिप्स और प्रतियोगिता अपडेट पाएँगे, जिससे आपका शूटर सफर और भी समृद्ध होगा। आगे पढ़ें और देखें कैसे ये सभी पहलू आपके खेल को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।

स्वप्निल कुशले ने पुरुषों की 50मी राइफल 3 स्थितियां फाइनल में बुक किया स्थान

भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुशले ने पेरिस 2024 ओलंपिक्स में पुरुषों की 50मी राइफल 3 स्थितियां स्पर्धा के फाइनल में स्थान हासिल किया है। कुशले, जिन्होंने पहले बाकू में ISSF वर्ल्ड कप 2022 में इसी स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता था, ने फाइनल में सातवां स्थान प्राप्त किया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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