इंग्लैंड की काउंटी दुनिया में एक दिलचस्प मोड़ आया है। यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब ने घोषणा की कि भारतीय बल्लेबाज रुतुराज गायकवाड़ अब 2025 सीजन में उनके लिए नहीं खेलेंगे। वजह निजी बताई गई। गायकवाड़ 22 जुलाई 2025 को सरे के खिलाफ स्कारबोरो में डेब्यू करने वाले थे और फिर अगस्त से शुरू होने वाले घरेलू वन-डे कप में भी उतरते। योजना बदल गई, और उसी खाली स्लॉट में पाकिस्तान के ओपनर Imam-ul-Haq आ गए।
यॉर्कशायर के हेड कोच एंथनी मैक्ग्रा ने साफ कहा कि टीम रुतुराज को खोने से निराश है, पर उनके लिए शुभकामनाएं हैं। क्लब ने बिना किसी शोर-शराबे के तेजी से रिप्लेसमेंट ढूंढ़ा और इमाम-उल-हक से करार पक्का कर दिया। इमाम सीधे सरे के खिलाफ काउंटी चैम्पियनशिप मैच के लिए स्क्वॉड में शामिल होंगे और सितंबर तक, यानी चैम्पियनशिप के अंत तक, उपलब्ध रहेंगे।
इमाम की प्रोफाइल खुद बोलती है। 24 टेस्ट में तीन शतक, 75 वनडे में नौ शतक और इंग्लिश कंडीशंस का अनुभव—2022 में वह समरसेट के लिए खेले थे। मार्च 2025 में प्रेसीडेंट्स कप जीतने में पाकिस्तान टेलीविजन की टीम के लिए उनकी बल्लेबाजी अहम रही। तकनीकी रूप से कॉम्पैक्ट, नई गेंद को देर से खेलना और बैकफुट गेम—ये उनकी खासियतें हैं, जो ड्यूक बॉल और बादलों से ढकी इंग्लिश सुबहों में काम आती हैं।
रुतुराज की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान के तौर पर उनकी लीडरशिप चर्चा में रही है। भारत की सीमित ओवरों की टीम में वे ओपनर के तौर पर स्थापित हैं और कप्तानी भी कर चुके हैं। काउंटी में लंबा सेशन उनके लिए रेड-बॉल स्किल्स निखारने का मौका होता, जैसा चेतेश्वर पुजारा ने ससेक्स में करके दिखाया या रहाणे ने हैम्पशायर के साथ 2019 में किया था। फिलहाल वे नहीं आ पा रहे—क्लब ने इसे सम्मान के साथ स्वीकार किया और टीम बैलेंस के लिए जल्दी फैसला लिया।
यॉर्कशायर की जरूरतें स्पष्ट थीं—टॉप ऑर्डर में एक भरोसेमंद, टिकाऊ बैट्समैन, जो लंबे स्पैल झेल सके और स्कोरबोर्ड चलाता रहे। स्कारबोरो की पिच आमतौर पर शुरू में सीम देती है, लेकिन टिकने पर रन बनते हैं। इमाम का धैर्य भरा खेल, स्ट्रेट बैट और कंधों के पास आती गेंदों को छोड़ने की कला यहां मूल्यवान होगी। वन-डे कप में उनका रोल और बड़ा होगा—50 ओवर में वे पारी एंकर कर सकते हैं और आखिरी 15 ओवर में गियर शिफ्ट कर सकते हैं।
काउंटी में विदेशी खिलाड़ी नियम भी इस कहानी का हिस्सा हैं। चैम्पियनशिप में दो विदेशी खिलाड़ियों तक को उतारा जा सकता है, पर सीजन के दौरान साइनिंग्स रोटेट होती रहती हैं—राष्ट्रीय ड्यूटी, चोटें और शेड्यूलिंग की वजह से। ऐसे में क्लब अक्सर बैक-अप ऑप्शंस तैयार रखते हैं। यॉर्कशायर ने वही किया—भारतीय ओपनर की जगह पाकिस्तान का ओपनर, और टीम का टेम्पलेट जस का तस।
इस मूव का एक सांकेतिक पहलू भी है—भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक ही ड्रेसिंग रूम से, भले अलग-अलग वक्त पर, खेल से जुड़े। आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के नहीं खेलने और पीएसएल में भारतीयों की अनुपस्थिति के बीच, काउंटी क्रिकेट एक न्यूट्रल स्पेस देता है जहां क्रिकेटर सिर्फ प्रोफेशनल होते हैं—कॉन्ट्रैक्ट, फॉर्म और टीम की जरूरतें ही प्राथमिकता। पहले भी इंग्लिश काउंटीज में एशियाई खिलाड़ियों ने साथ-साथ डगआउट शेयर किया है और इससे उनके गेम की समझ बढ़ी है।
यॉर्कशायर का इतिहास समृद्ध है—टाइटल्स, बड़े नाम और हाल के सालों में बड़े बदलाव। क्लब अभी एक रीसेट मोड में है, जहां स्थिरता और ऑन-फील्ड प्रदर्शन सबसे अहम हैं। ऐसे में एक अनुभवी, सधे हुए ओपनर का मिलना मैनेजमेंट के लिए राहत है। टीम के टॉप ऑर्डर में एडम लिथ और युवा फिनले बीन जैसे नामों के साथ इमाम का अनुभव मिश्रण देता है—किसी एक एंड पर एंकर, दूसरे छोर पर प्रगति।
तकनीकी नजर से देखें तो इमाम का बैक-लिफ्ट कॉम्पैक्ट है और कवर-ड्राइव उनकी हाई-परसेंटेज शॉट है। इंग्लैंड में बाएं हाथ के बल्लेबाजों को कोण मिलता है, पर ऑफ-स्टंप के बाहर फंसने का डर रहता है। अगर वे अपनी ऑफ-स्टंप को कड़ी तरह से मैनेज करते हैं और शुरुआती ओवरों में गेंद छोड़ने की अनुशासन दिखाते हैं, तो स्कोरिंग ओपन हो जाती है—कट, पुल और फिर इनसाइड-आउट लिफ्ट के साथ। वन-डे कप में पावरप्ले का इस्तेमाल और मिडल ओवर्स में स्ट्राइक रोटेशन—यहीं उनका अनुभव काम आएगा।
रुतुराज के न आने से यॉर्कशायर को क्या खोना पड़ा? एक एलीगेंट फ्लोइंग प्लेयर, जो गलती कम करता है और लंबी पारी खेलता है। साथ ही, भारतीय क्रिकेट के साथ उनकी ब्रिजिंग से क्लब को भारत जैसे बड़े फैनबेस तक पहुंच मिलती। पर काउंटी की खूबसूरती यही है—दरवाजे बंद नहीं होते, विकल्प खुलते रहते हैं। और इमाम के आने से टीम को तुरंत एक मैच-रेडी ओपनर मिल गया, जिसने हाल ही में घरेलू टूर्नामेंट जीत में बड़ी भूमिका निभाई है।
स्कारबोरो फेस्टिवल गेम्स का माहौल खास रहता है—समुद्र किनारे का ग्राउंड, भीड़ में पारिवारिक चेहरों की गर्माहट और हर गेंद पर बजता शोर। सरे के खिलाफ मुकाबला चुनौतीपूर्ण होगा—उनके पास मजबूत नई गेंद अटैक है। यहां पहली 30 गेंदें पार करना असली टेस्ट होगा। अगर इमाम टिकते हैं, तो यॉर्कशायर की पारी का ढांचा बन जाएगा और लोअर मिडल ऑर्डर को आजादी मिलेगी।
भारत-पाक संदर्भ में फैंस के लिए यह कहानी और भी आकर्षक है। यॉर्कशायर और आसपास के इलाकों में साउथ एशियन डायस्पोरा बड़ी संख्या में है—स्टैंड्स में भारत और पाकिस्तान दोनों के झंडे दिखना आम बात है। ऐसे में जब एक सीजन में एक ही टीम में दोनों देशों के खिलाड़ी जुड़े दिखते हैं, तो बातचीत क्रिकेट पर लौट आती है—कौन कैसे खेलता है, किसकी तकनीक किस हालत में बेहतर है, किसकी शॉट-सेलेक्शन ज्यादा समझदार है।
आने वाले हफ्तों में क्या देखने लायक रहेगा?
काउंटी क्रिकेट की असली कीमत यही है—यह खिलाड़ियों को अलग माहौल में ढालती है, स्किल्स को धार देती है और ड्रेसिंग रूम में विविधता लाती है। भारत और पाकिस्तान की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता के बीच, यॉर्कशायर की यह कहानी याद दिलाती है कि प्रोफेशनल खेल में सीमाएं अक्सर सिर्फ कैलेंडर और कॉन्ट्रैक्ट तय करते हैं। मैदान पर, बैट और बॉल ही असली भाषा हैं।
यॉर्कशायर का फोकस दो मोर्चों पर है—काउंटी चैम्पियनशिप और वन-डे कप। अगस्त की शुरुआत से 50 ओवर का टूर्नामेंट शुरू होगा, जहां तेज शुरुआत और नियंत्रित डेथ ओवर्स स्कोरिंग मैचों का पैटर्न तय करेंगे। इमाम के आने से ओपनिंग में स्थिरता मिलेगी, जिससे मिडल ऑर्डर को फ्रीडम मिलेगा। चैम्पियनशिप में वे सेशन-टू-सेशन खेलकर रन बैंक कर सकते हैं—यह कौशल लंबी फॉर्मेट में सबसे अनमोल है।
स्क्वॉड मैनेजमेंट भी अहम रहेगा। इंग्लैंड के मौसम में अचानक बारिश, ड्यूक बॉल की सीम मूवमेंट और बैक-टू-बैक फिक्स्चर्स—ये सब रोटेशन मांगते हैं। विदेशी खिलाड़ी होने के नाते इमाम की उपलब्धता सितंबर तक तय है, तो टीम उन्हें एंकर रोल दे सकती है और बाकी स्लॉट्स कंडीशन के हिसाब से एडजस्ट कर सकती है। अगर टॉप ऑर्डर शुरुआती स्पेल झेल गया, तो यॉर्कशायर का बैलेंस तुरंत बेहतर दिखेगा।
यह ट्रांसफर एक छोटे वाक्य में समझें तो—रुतुराज नहीं आ सके, पर यॉर्कशायर को एक मैच-रेडी, इंग्लिश कंडीशंस समझने वाला ओपनर मिल गया। इससे टीम को आज की जरूरत और कल की योजना—दोनों में मदद मिलेगी। और फैंस को एक नया नैरेटिव—इंडिया और पाकिस्तान के खिलाड़ी, एक ही सीजन में, एक ही क्लब की कहानी में जुड़ते हुए।